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दाह संस्कार के समय क्यों की जाती है कपाल क्रिया? Kapaal kriya ke karan

दाह संस्कार के समय क्यों की जाती है कपाल क्रिया? Antim sanskar ke samay kyon ki jati hai kapaal kriya, अंतिम संस्कार करते वक्त कपाल क्रिया करने के कारण वजह, Dah sanskar ke samay kapal kriya karne ke karan.

हिंदू धर्म में मृत्यु के उपरांत मृतक का दाह संस्कार किया जाता है अर्थात मृत देह को अग्नि को समर्पित किया जाता है। दाह संस्कार के समय कपाल क्रिया भी की जाती है। दाह संस्कार के समय कपाल क्रिया क्यों की जाती है? इसका वर्णन गरुड़पुराण में मिलता है।

 दाह संस्कार के समय क्यों की जाती है कपाल क्रिया? Kapaal kriya ke karan

उसके अनुसार जब शवदाह के समय मृतक के सिर पर घी की आहुति दी जाती है तथा तीन बार डंडे से प्रहार कर खोपड़ी फोड़ी जाती है इसी प्रक्रिया को कपाल क्रिया कहते हैं। इस क्रिया के पीछे अलग-अलग मान्यताएं हैं।

एक मान्यता के अनुसार कपाल क्रिया के पश्चात ही प्राण पूरी तरह स्वतंत्र होते हैं और नए जन्म की प्रक्रिया आगे बढ़ती है।

दूसरी मान्यता है कि खोपड़ी को फोड़कर मस्तिष्क को इसलिए जलाया जाता है ताकि वह अधजला न रह जाए अन्यथा अगले जन्म में वह अविकसित रह जाता है।

हमारे शरीर के प्रत्येक अंग में विभिन्न देवताओं का वास होने की मान्यता का विवरण श्राद्ध चंद्रिका में मिलता है। चूंकि सिर में ब्रह्मा का वास माना गया है इसलिए शरीर को पूर्ण रूप से मुक्ति प्रदान करने के लिए कपाल क्रिया द्वारा खोपड़ी को फोड़ा जाता है।

खोपड़ी की हड्डी इतनी मजबूत होती है कि उसे अग्नि में भस्म होने में भी समय लगता है। वह फूट जाए और मस्तिष्क में स्थित ब्रह्मरंध्र पंचतत्व में पूर्ण रूप से विलीन हो जाए इसलिए कपाल क्रिया करने का विधान है।

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