अदरक की आधुनिक खेती करने की जानकारी Adrak ki aadhunik kheti karne ki jankari
अदरक की आधुनिक खेती करने की जानकारी Adrak ki aadhunik kheti karne ki jankari अदरक की खेती कैसे करे Adrak ki Kheti Kaise Kare अदरक की वैज्ञानिक खेती करने का तरीका Adrak ki vaigyanik kheti karne ka tarika hindi me jankari. अदरक की खेती में सबसे अहम है जमीन की तैयारी. अदरक की खेती में उत्पादन एवं फसल सुरक्षा हेतु विशेष. Kaise Kare Adrak ki Uchit Kheti. कैसे करें अदरक की उन्नत खेती. अदरक की खेती विधि. अदरक की खेती का तरीका. प्रति एकड़ अदरक की खेती लागत. अदरक की जैविक खेती. अदरक की उपज. अदरक लगाने की विधि. भारत में अदरक की खेती. अदरक की जानकारी.
किसान चाहे तो अदरक की खेती किसी भी तरह के भूमि पर कर सकते है लेकिन उचित जल निकास वाली दोमट भूमि में अदरक की खेती को सबसे सर्वोतम माना जाता है। मांदा का निर्माण करना भी अदरक की खेती के लिए अच्छा होता है। मांदा निर्माण से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई कर के उसे भुरभुरा बना लेना चाहिए।
किसान चाहे तो अदरक की खेती किसी भी तरह के भूमि पर कर सकते है लेकिन उचित जल निकास वाली दोमट भूमि में अदरक की खेती को सबसे सर्वोतम माना जाता है। मांदा का निर्माण करना भी अदरक की खेती के लिए अच्छा होता है। मांदा निर्माण से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई कर के उसे भुरभुरा बना लेना चाहिए।
अदरक की खेती को खरपतवार रहित रखने के लिए और मिट्टी को नरम बनाये रखने के लिए आवश्यकता अनुसार खेत की जुताई करते रहना चाहिए ।
जलवायु - कृषि वैज्ञानिको द्वारा अदरक की खेती ऐसे जगह पर करना चाहिए जहाँ नर्म वातावरण हो। फसल के विकास के समय ५० से ६० से.मी. वार्षिक वर्षा हो साथ ही भूमि ऐसी होनी चाहिए जहाँ पानी ना ठहरे और हल्की छाया भी बनी रहे ।
बीज की बुआई - बीज कंदों को बोने से पहले ०.२५ प्रतिशत इथेन, ४५ प्रतिशत एम और ०.१ प्रतिशत बाविस्टोन के मिश्रण घोल में लगभग एक घंटे तक डुबाए रखना चाहिए । फिर दो से तीन दिनों तक इसे छाया में ही सुखने दें। जब बीज अच्छे से सुख जाए तो उसे लगभग ४ से.मी. गहरा गड्ढा खोद के बो देना चाहिए । बीज बोने समय कतार से कतार की दूरी कम से कम २५ से ३० से.मी. और पौधों से पौधों की दूरी लगभग १५ से २० से.मी. होनी चाहिए। बीज के बुआई के तुरंत बाद उसके ऊपर से घांस फुंस पत्तियों और गोबर की खाद को डाल कर उसे अच्छे से ढक देना चाहिए इससे मिट्टी के अन्दर नमी बनाये रखना आसान होता है साथ ही अदरक के अंकुरन तेज धुप से बच सकते है ।
सिंचाई / जल प्रबंधन - अदरक की खेती में बराबर नमी का बना रहना बहुत जरुरी होता है इसलिए इसकी खेती में पहली सिंचाई बुआई के तुरंत बाद कर देनी चाहिए। फिर भमि में नमी बनाये रखने के लिए आवश्यकता अनुसार सिंचाई करते रहना चाहिए । सिंचाई के लिए टपक पद्धति या ड्रिप एरीगेशन का प्रयोग किया जाए तो और भी बेहतर परिणाम सामने आता है।
खाद प्रबंधन - अदरक की खेती में मिट्टी के जांच करने के बाद ही पता चलता है की कब ओर कितना खाद का प्रयोग करना चाहिए। अगर मिट्टी की जांच ना भी की जाए तो भी गोबर की खाद या कम्पोस्ट 20 से 25 टन , नत्रजन 100 किलो ग्राम / kg, 75 किलो ग्राम kg फास्फोरस और साथ ही साथ में 100 किलो ग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से देनी चाहिए। इस खाद को देने के लिए, आप चाहे तो गोबर या कम्पोस्ट को भूमि की तैयारी से थोड़े पहले खेत में सामान्य रूप से डाल कर अच्छे से खेत की हल से जुताई करनी चाहिए । नेत्रजन, फास्फोरस और पोटाश की आधी मात्रा बीज की बुआई के समय देना चाहिए और बांकी आधी को बुआई के कम से कम ५० से ६० दिनों के बाद खेत में डाल कर मिट्टी चढ़ा देना चाहिए ।
रोग नियंत्रण - अदरक की खेती को प्रभावित करने वाले दो रोग होते है :
मृदु विगलन
प्रखंध विगलन
इन रोगों के प्रकोप से पौधो के निचे की पत्तियां पीली पर जाती है और बाद में पूरा पौधा पीला हो कर मुरझा जाता है साथ ही भूमि के समीप का भाग पनीला और कोमल हो जाता है। पौधा को खीचने पर वो प्रखंड से जुड़ा स्थान से सुगम्बता से टूट जाता है। बाद में धीरे धीरे पूरा प्रखंड सड़ जाता है । मृदु विगलन रोग से बचाव के लिए भूमि में चेस्टनट कंपाउंड के ०.६ प्रतिशत घोल को आधा लीटर प्रति पौधे के दर से देते रहना चाहिए ।
कुछ रोग ऐसे भी होते है जिसकी वजह से पत्तियों पर धब्बे पर जाते है जो की बाद में आपस में मिल जाते है । इस रोग की वजह से पौधों की वृद्धि पर प्रभाव पड़ता है जिससे उपज कम हो जाती है । इस रोग से बचने के लिए बोर्डो मिश्रण का उपयोग ५:५:५० के अनुपात में किया जाना चाहिए।
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Tags: अदरक की आधुनिक खेती करने की जानकारी Adrak ki aadhunik kheti karne ki jankari अदरक की खेती कैसे करे Adrak ki Kheti Kaise Kare अदरक की वैज्ञानिक खेती करने का तरीका Adrak ki vaigyanik kheti karne ka tarika hindi me jankari. अदरक की खेती में सबसे अहम है जमीन की तैयारी. अदरक की खेती में उत्पादन एवं फसल सुरक्षा हेतु विशेष. Kaise Kare Adrak ki Uchit Kheti. कैसे करें अदरक की उन्नत खेती. अदरक की खेती विधि. अदरक की खेती का तरीका. प्रति एकड़ अदरक की खेती लागत. अदरक की जैविक खेती. अदरक की उपज. अदरक लगाने की विधि. भारत में अदरक की खेती. अदरक की जानकारी.
जलवायु - कृषि वैज्ञानिको द्वारा अदरक की खेती ऐसे जगह पर करना चाहिए जहाँ नर्म वातावरण हो। फसल के विकास के समय ५० से ६० से.मी. वार्षिक वर्षा हो साथ ही भूमि ऐसी होनी चाहिए जहाँ पानी ना ठहरे और हल्की छाया भी बनी रहे ।
बीज की बुआई - बीज कंदों को बोने से पहले ०.२५ प्रतिशत इथेन, ४५ प्रतिशत एम और ०.१ प्रतिशत बाविस्टोन के मिश्रण घोल में लगभग एक घंटे तक डुबाए रखना चाहिए । फिर दो से तीन दिनों तक इसे छाया में ही सुखने दें। जब बीज अच्छे से सुख जाए तो उसे लगभग ४ से.मी. गहरा गड्ढा खोद के बो देना चाहिए । बीज बोने समय कतार से कतार की दूरी कम से कम २५ से ३० से.मी. और पौधों से पौधों की दूरी लगभग १५ से २० से.मी. होनी चाहिए। बीज के बुआई के तुरंत बाद उसके ऊपर से घांस फुंस पत्तियों और गोबर की खाद को डाल कर उसे अच्छे से ढक देना चाहिए इससे मिट्टी के अन्दर नमी बनाये रखना आसान होता है साथ ही अदरक के अंकुरन तेज धुप से बच सकते है ।
सिंचाई / जल प्रबंधन - अदरक की खेती में बराबर नमी का बना रहना बहुत जरुरी होता है इसलिए इसकी खेती में पहली सिंचाई बुआई के तुरंत बाद कर देनी चाहिए। फिर भमि में नमी बनाये रखने के लिए आवश्यकता अनुसार सिंचाई करते रहना चाहिए । सिंचाई के लिए टपक पद्धति या ड्रिप एरीगेशन का प्रयोग किया जाए तो और भी बेहतर परिणाम सामने आता है।
खाद प्रबंधन - अदरक की खेती में मिट्टी के जांच करने के बाद ही पता चलता है की कब ओर कितना खाद का प्रयोग करना चाहिए। अगर मिट्टी की जांच ना भी की जाए तो भी गोबर की खाद या कम्पोस्ट 20 से 25 टन , नत्रजन 100 किलो ग्राम / kg, 75 किलो ग्राम kg फास्फोरस और साथ ही साथ में 100 किलो ग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से देनी चाहिए। इस खाद को देने के लिए, आप चाहे तो गोबर या कम्पोस्ट को भूमि की तैयारी से थोड़े पहले खेत में सामान्य रूप से डाल कर अच्छे से खेत की हल से जुताई करनी चाहिए । नेत्रजन, फास्फोरस और पोटाश की आधी मात्रा बीज की बुआई के समय देना चाहिए और बांकी आधी को बुआई के कम से कम ५० से ६० दिनों के बाद खेत में डाल कर मिट्टी चढ़ा देना चाहिए ।
रोग नियंत्रण - अदरक की खेती को प्रभावित करने वाले दो रोग होते है :
मृदु विगलन
प्रखंध विगलन
इन रोगों के प्रकोप से पौधो के निचे की पत्तियां पीली पर जाती है और बाद में पूरा पौधा पीला हो कर मुरझा जाता है साथ ही भूमि के समीप का भाग पनीला और कोमल हो जाता है। पौधा को खीचने पर वो प्रखंड से जुड़ा स्थान से सुगम्बता से टूट जाता है। बाद में धीरे धीरे पूरा प्रखंड सड़ जाता है । मृदु विगलन रोग से बचाव के लिए भूमि में चेस्टनट कंपाउंड के ०.६ प्रतिशत घोल को आधा लीटर प्रति पौधे के दर से देते रहना चाहिए ।
कुछ रोग ऐसे भी होते है जिसकी वजह से पत्तियों पर धब्बे पर जाते है जो की बाद में आपस में मिल जाते है । इस रोग की वजह से पौधों की वृद्धि पर प्रभाव पड़ता है जिससे उपज कम हो जाती है । इस रोग से बचने के लिए बोर्डो मिश्रण का उपयोग ५:५:५० के अनुपात में किया जाना चाहिए।
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