Home
» Computer-knowledge-in-hindi
» ZZZ
» कम्प्यूटर का विकास कैसे हुआ Computer ka vikash kaise huaa
कम्प्यूटर का विकास कैसे हुआ Computer ka vikash kaise huaa
Computer, ka, vikash, kaise, huaa, कम्प्यूटर, का, विकास, कैसे, हुआ? Development, of, computer, Computer Development, Computer ka vikash kaise huaa, कम्प्यूटर का विकास कैसे हुआ? Development of computer, कंप्यूटर का इस प्रकार हुआ था.
विलक्षण क्षमता तथा त्वरित गति वाला आधुनिक कम्प्यूटर कोई ऐसा आविष्कार नहीं है जो किसी अकेले व्यक्ति के मस्तिष्क की उपज हो। आधुनिक कम्प्यूटर की संकल्पना को साकार होने में हजारों वर्ष लगे हैं। यह पिछले कई हजार वर्षों में अनेक व्यक्तियों द्वारा किए गए अनगिनत आविष्कारों, विचारों तथा विकास का समन्वित परिणाम है।
विलक्षण क्षमता तथा त्वरित गति वाला आधुनिक कम्प्यूटर कोई ऐसा आविष्कार नहीं है जो किसी अकेले व्यक्ति के मस्तिष्क की उपज हो। आधुनिक कम्प्यूटर की संकल्पना को साकार होने में हजारों वर्ष लगे हैं। यह पिछले कई हजार वर्षों में अनेक व्यक्तियों द्वारा किए गए अनगिनत आविष्कारों, विचारों तथा विकास का समन्वित परिणाम है।

एबेकस
लगभग 3000 वर्ष ईसा पूर्व में मीसोपोटामिया के लोगों ने अनजाने में ही कम्प्यूटर युग की नींव रखी। उन्होंने मनकों और तार से गिनती गिनने का सबसे पहला उपकरण बनाया। लगभग 600 वर्ष ईसा पूर्व में चीनियों ने इस उपकरण में कुछ सुधार किए जिससे इस उपकरण द्वारा गणना करना और आसान हो गया।
इस उपकरण को एबेकस कहा गया। उस समय चीन के अलावा जापान में भी इस उपकरण का उपयोग हुआ करता था। जापानी इसे सारोबान कहते थे। यह जानना रुचिकर होगा कि बहुत से चीनी लोग आज भी अपने रोजाना के व्यापारिक और लेन-देन के कामों में एबेकस का ही उपयोग करते हैं। 1991 में चीन में एबेकस की जानकारी रखने वालों की एक प्रतियोगिता हुई जिसमें 24 लाख लोगों ने भाग लिया। अनेक चीनी लोगों का कहना है कि एबेकस कम्प्यूटर से भी ज्यादा तेज है। हमारे देश में भी प्राथमिक विद्यालयों की प्रारम्भिक कक्षा में बच्चों को अंक गणित के सिद्धान्त समझाने में इसका उपयोग किया जाता है।
नेपियर्स बोन्स
इसके बाद जब भारत में शून्य का आविष्कार हुआ तो प्रारम्भिक कम्प्यूटर में और परिवर्तन होने लगे। समय बीतता रहा, विकास चलता रहा। 17वीं शताब्दी के प्रारम्भ में स्काटलैण्ड के एक गणितज्ञ जॉन नेपियर को लधुगणक बनाने का विचार आया और उन्होंने ही बाद में गणना करने वाली ऐसी युक्ति बनाई जिससे बड़ी-बड़ी तथा दशमलव वाली संख्याओं का गुणा करना बहुत आसान हो गया। इस युक्ति को नेपियर्स बोन्स कहा गया।
ब्लेज एपास्कल

सन 1642 में फ्रांसीसी गणितज्ञ ब्लेज एपास्कल ने मात्र बीस वर्ष की उम्र में विश्व का पहला यान्त्रिक केलकुलेटर बनाया जो दशमलव प्रणाली की जोड़-बाकी कर सकता था। इसे पास्कलाइन नाम दिया गया। यह अनेक चक्रों गरारियों तथा बेलनों से निर्मित था। यह उपकरण उसी प्रकार कार्य करता था जिस प्रकार वर्तमान वाहनों में किलोमीटर मापने के लिए माइलोमीटर काम करते हैं। तत्पश्चात 1671 में जर्मनी के गॉटफ्रीड लिबनिज ने पास्कलाइन में कुछ परिवर्तन किया जिससे इस केलकुलेटर द्वारा गुणा एवं भाग कर पाना भी सम्भव हो गया।
जैकार्ड

सन 1801 में जैकार्ड ने कपड़े बुनने की मशीन का आविष्कार किया जिसे लूम कहा गया। इस मशीन की यह विशेषता थी कि इसमें कपड़े के पैटर्न को कार्ड-बोर्ड के छिद्र युक्त पंच कार्डों द्वारा नियन्त्रित किया जाता था। इस सिद्धान्त का उपयोग बाद में कम्प्यूटर में सूचना को पंचकार्ड पर संग्रहित करने में किया जाने लगा।
चार्ल्स बैबेज

किन्तु आधुनिक कम्प्यूटर की संकल्पना ने 1821 में आकार लेना आरम्भ किया। एक अंग्रेज वैज्ञानिक चार्ल्स बैबेज ने एक के बाद एक तीन स्वचालित यान्त्रिक संगणक के निर्माण का प्रयास किया। इन्हें डिफरेंस इंजिन नाम दिया गया। पहला यन्त्र स्वचालित केलकुलेटर का आरम्भिक सम्पूर्ण डिजाइन था। बैबेज निरन्तर 12 वर्षों तक इसे बनाने का प्रयास करते रहे। अभी यह आधा ही बना था कि उन्होंने अपना दूसरा यन्त्र बनाना शुरू कर दिया जो पहले से हल्का तथा तेज चलने वाला था। किन्तु इसका निर्माण पूरा होता उससे पहले उन्होंने इससे भी बेहतर अपना तीसरा यन्त्र बनाना प्रारम्भ किया। पूरा यह भी नहीं हुआ। यद्यपि, बाद में 1843 में पहला यन्त्र बना और स्वीडन में प्रदर्शित किया गया। इसी क्रम में बैबेज ने 1833 में एक और संगणन यन्त्र का निर्माण आरम्भ किया जिसे वैश्लेषिक यन्त्र कहा गया। एनेलेटिकल इंजिन को सही अर्थो में आज के आधुनिक कम्प्यूटर का पूर्वज कहा जा सकता है। वास्तव में बैबेज के एनेलेटिकल इंजिन का विधिवत डिजाइन कभी बना ही नहीं, किन्तु बैबेज ने वे मूलभूत सिद्धान्त अवश्य स्थापित कर दिए जिन पर आज के कम्प्यूटर काम करते हैं। चकित करने वाली बात यह है कि इसकी अनेक विशेषताएं आज के इलेक्ट्रानिक कम्प्यूटर के समान थीं। इसके डिजाइन में आज के कम्प्यूटर जैसे केन्द्रीय प्रोसेसर, संग्रहण क्षेत्र, मैमोरी और इनपुट-आउटपुट युक्तियां आदि सभी कुछ था। यहां तक कि कार्ड पंच करने की पद्धति भी बैबेज ने ही पहली बार प्रस्तुत की। इन सब योगदानों के कारण ही चार्ल्स बैबेज को कम्प्यूटर का जनक कहा जाता है।
हर्मन हॉलेरिथ
सन 1887 में अमेरिका के हर्मन हॉलेरिथ ने सबसे पहली विद्युत यान्त्रिक कार्ड पंच सारणी मशीन बनायी। इस मशीन में बैटरी से संचालित स्विच और गियर थे जो अत्यधिक आवाज किया करते थे। हॉलेरिथ की इस मशीन में पंच कार्ड का उपयोग होता था। उन्होंने कोड विकसित किए थे जिन्हें हॉलेरिथ कोड कहते हैं। इन कोड के द्वारा पंच कार्ड में सूचना को संग्रह करना सम्भव हो गया । पंच कार्ड को टाइपराइटर जैसी मशीन से पंच किया जाता था। पंच कार्ड कम्प्यूटर में सूचना निवेश का सबसे पुराना माध्यम है।

मानक पंच कार्ड लगभग 7.37 इंच चौड़ा एवं 3.25 इंच लम्बा होता है। इसकी मोटाई 0.001 इंच होती है। इसमें 80 अक्षर लिखे जा सकते हैं। पंच कार्ड में जो छिद्र होते हैं वे 1 प्रदर्शित करते हैं व जहां छिद्र नहीं होते वे 0 प्रदर्शित करते हैं। हॉलेरिथ मशीन का प्रयोग अमेरिका के जन गणना विभाग द्वारा 1890 के जनगणना सम्बन्धी आंकड़ों को संकलित करने के लिए किया गया। आंकड़े संकलन में कुल तीन वर्षों का समय लगा, जबकि बिना इस मशीन के इसे करने में एक दशक लग जाता। यद्यपि इसकी तुलना में, आधुनिक कम्प्यूटर यह कार्य केवल कुछ घंटों में ही कर सकते हैं।
1924 में अमेरिका में कम्प्यूटर बनाने वाली पहली कम्पनी इन्टरनेशनल बिजनेस मशीन कार्पोरेशन प्रारम्भ हुई, जो आज भी दुनिया की सबसे बड़ी कम्प्यूटर निर्माता कम्पनी है।
1943 में अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञानी हावर्ड आइकन ने आई.बी.एम. के सहयोग से मार्क-I नामक विद्युत-यांत्रिक कम्प्यूटर बनाया। यह कम्प्यूटर 51 फुट लम्बा और 8 फुट ऊँचा था। इसमें 0.75 मिलियन अवयव लगे थे तथा एक हजार कि.मी. से अधिक लम्बे तार का उपयोग किया गया था। यह मात्र 5 सैकण्ड में दो 10-अंकीय संख्याओं को गुणा कर सकता था जो उस समय के लिए रिकार्ड था। इसमें 23 अंकों वाली दशमलव प्रणाली की 72 संख्याओं को संग्रह किया जा सकता था। इसमें पंच कार्डो के स्थान पर पंच पेपर टेप का उपयोग किया गया था।
इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर

अब तक विकसित कम्प्यूटर विद्युत-यान्त्रिक थे। इनमें कई गम्भीर कमियां थीं। एक तो इनकी कार्य गति धीमी थी दूसरे यान्त्रिक कलपुर्जों के कारण इनमें सूचनाओं का संचार विश्वसनीय नहीं होता था। इनके अलावा कोई भी विशेष अभिकलन करने से पूर्व कम्प्यूटर को उस कार्य से सम्बन्धित निर्देश देने के लिए बहुत सारे स्विचों और यांत्रिक गियरों को हाथ से समायोजित करना पड़ता था। फलस्वरूप कम्प्यूटर की अपेक्षा आपरेटर को कहीं अधिक काम करना पड़ता था। अतः अब वैज्ञानिकों का सारा ध्यान एक इलेक्ट्रानिक कम्प्यूटर विकसित करने पर केन्द्रित हो गया जो ज्यादा तेज होने के साथ-साथ अधिक विश्वसनीय भी हो और उससे काम करने में अधिक श्रम भी न करना पड़े। इलेक्ट्रानिक कम्प्यूटर में गतिशीलता मात्र इलेक्ट्रान्स की होती है। इलेक्ट्रान्स का संचरण अत्यधिक विश्वसनीय एवं तीव्र गति से होता है जिससे कम्प्यूटर की गति बढ़ने के साथ-साथ उसकी विश्वसनीयता भी बढ़ जाती है। इलेक्ट्रानिक कम्प्यूटर पर कार्य करना भी आसान होता है।
पिछले साठ वर्षों में इलेक्ट्रानिक कम्प्यूटर की नई-नई तकनीकी का विकास बड़ी तेजी से हुआ है। इनका विकास इतनी तेजी के साथ हुआ है कि पांच साल पुराना मॉडल ऐतिहासिक वस्तु बन कर रह गया है।
Thanks for reading...
Tags: Computer, ka, vikash, kaise, huaa, कम्प्यूटर, का, विकास, कैसे, हुआ? Development, of, computer, Computer Development, Computer ka vikash kaise huaa, कम्प्यूटर का विकास कैसे हुआ? Development of computer, कंप्यूटर का इस प्रकार हुआ था.
Thanks for reading...
Tags: Computer, ka, vikash, kaise, huaa, कम्प्यूटर, का, विकास, कैसे, हुआ? Development, of, computer, Computer Development, Computer ka vikash kaise huaa, कम्प्यूटर का विकास कैसे हुआ? Development of computer, कंप्यूटर का इस प्रकार हुआ था.
आपके लिए कुछ विशेष लेख
- इंडियन गांव लड़कियों के नंबर की लिस्ट - Ganv ki ladkiyon ke whatsapp mobile number
- सेक्स करने के लिए लड़की चाहिए - Sex karne ke liye sunder ladki chahiye
- किन्नर व्हाट्सप्प मोबाइल नंबर फोन चाहिए - Kinner whatsapp mobile phone number
- अमीर घर की औरतों के मोबाइल नंबर - Rich female contact number free
- Ghar Jamai rishta contact number - घर जमाई लड़का चाहिए
- रण्डी का मोबाइल व्हाट्सअप्प कांटेक्ट नंबर - Randi ka mobile whatsapp number
- धंधे वाली का मोबाइल नंबर चाहिए - Dhandha karne wali ladkiyon ke number chahiye
- कैसे हुई सृष्टि की उत्पत्ति और कब होगा प्रलय Srishti ki utpatti aur parlya kab aur kaise
- सेक्सी वीडियो डाउनलोड कैसे करें - How to download sexy video
- नई रिलीज होने वाली फिल्मों की जानकारी और ट्रेलर, new bollywood movie trailer 2018