भगवान् की कृपा Bhagwan ki kripa
भगवान की कृपा से, भगवान तेरी कृपा से, भगवान की कृपा करें, भगवान की कृपा कहानी, भगवान की कृपा कैसे पाएं, भगवान् की कृपा अपरम्पार है. Bhagwan ki kripa aprampar hai, भगवान सबका भला करते है. sab achchhe ke liye hota hai, jai shree ram, jai jai raam, God's grace. सुबह - शाम, सुख - दुःख सभी समय में प्रभु को याद रखना चाहिए. सब भगवान की माया है इसकी मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिल सकता है.
एक बार की बात है। एक राज्य का मंत्री भगवान का बहुत बड़ा भगत था वह हर बात पर "भगवान की बड़ी कृपा हुई" कहता था। एक दिन राजा के बेटे की मृत्यु हो गई। मंत्री ने खबर मिलते ही कहा - "भगवान की बड़ी कृपा हुई"। राजा पास में ही खड़ा था उसे यह बहुत बुरा लगा लेकिन कुछ नहीं बोला।
कुछ दिनों के बाद राजा की पत्नी की मृत्यु हो गई मंत्री ने फिर कहा - "भगवान की बड़ी कृपा हुई"। इस बार भी राजा चुप रहा। एक दिन राजा के पास एक नई तलवार बनकर आई। राजा अपनी उंगली से तलवार की धार देखने लगा। धार बहुत तेज होने के कारण राजा की उंगली कट गई। मंत्री पास में ही खड़ा था और बोला - "भगवान की बड़ी कृपा हुई"। अब राजा का गुस्सा बाहर निकला और उसने तुरन्त राज्य से बाहर निकल जाने का आदेश दिया। मंत्री फिर बोला - "भगवान की बड़ी कृपा हुई"। और राज्य से बाहर निकल गया।
अगले ही दिन राजा अपने साथियों के साथ शिकार खेलने गया। राजा एक हिरन का पीछा करते हुए बहुत घने जंगल में जा पहुंचा। उसके सभी साथी बहुत पीछे रह गए थे। उसी जंगल में डाकुओ का एक दल रहता था। डाकुओ ने उस दिन काली देवी को एक आदमी की बलि देने का निर्णय किया हुआ था।
संयोग से डाकुओ ने राजा को देख लिया और उसे बांध कर बलि वाले स्थान पर ले आए। डाकुओ के पुरोहित ने राजा को देखा तो राजा की कटी हुई उंगली पर उसकी नजर पड़ गई। पुरोहित ने राजा को अंगभंग बताया और कहा - यह आदमी बलि के योग्य नहीं है क्योंकि इसके सभी अंग पुरे नहीं है इसलिए इसे छोड़ दिया जाए। डाकुओ ने राजा को छोड़ दिया।
राजा अपने महल लौट आया और उसने अपने आदमियों से मंत्री को ढूंढ कर लाने को कहा। जल्दी ही मंत्री को ढूंढ कर राजा के सामने पेश किया गया। मंत्री ने राजा को प्रणाम किया और बोला - "भगवान की बड़ी कृपा हुई"। राजा ने मंत्री को आदरपूर्वक बैठाया और जंगल वाली घटना बताई।
राजा ने मंत्री से कहा - मैं तुम्हारी बात को समझा नहीं था अब समझ में आया की भगवान की मुझ पर कितनी कृपा थी। लेकिन तुमने राज्य से बाहर जाते हुए ऐसा क्यों कहा।
मंत्री ने कहा - महाराज जब आप शिकार करने गए तो यदि मैं यहाँ होता तो मैं भी आपके साथ घने जंगल में जाता क्योंकि मेरा घोडा आपके घोड़े से कम तेज नहीं है। डाकू मुझे भी पकड़ लेते आप तो उंगली कटी होने के कारण बच जाते लेकिन मेरी बलि निश्चित थी। इसलिए भगवान की कृपा से मैं उस समय आपके साथ नहीं था। अत: मरने से बच गया और अब आपके साथ हूँ।
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अगले ही दिन राजा अपने साथियों के साथ शिकार खेलने गया। राजा एक हिरन का पीछा करते हुए बहुत घने जंगल में जा पहुंचा। उसके सभी साथी बहुत पीछे रह गए थे। उसी जंगल में डाकुओ का एक दल रहता था। डाकुओ ने उस दिन काली देवी को एक आदमी की बलि देने का निर्णय किया हुआ था।
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