हिन्दी के प्रति सम्मान जरूरी है - Hindi Ke Prati Samman Jaruri Hai

हिन्दी के प्रति सम्मान जरूरी है Hindi Ke Prati Samman Jaruri Hai, Respect is necesory for Hindi अपनी राष्ट्रभाषा हिन्दी का सम्मान करें, हिंदी के बारे में विचार, हिंदी भाषा पर सुविचार, हिंदी के प्रति बढ़ते सम्मान एवं रुझान पर प्रकाश, हिन्दी दिवस पर हिन्दी के प्रति लोगों को प्रेरित करने हेतु, भाषा व मातृभूमि का सम्मान जरूरी.
 
मातृभाषा हिन्दी के उत्थान के प्रयास हर घर में होना चाहिए। हिन्दी के प्रति गंभीरता और सम्मान जरूरी है तभी हम अपनी मातृभाषा की लाज बचा पाएंगे।

विदेशी लोग हिन्दी को अपना रहे हैं जबकि हम खुद इससे जी चुरा रहे हैं। जरूरत हमारे नजरिए को बदलने की है। ये बातें इंदौर के विभिन्न महाविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाने वाले विशेषज्ञों ने कही हैं।

महाविद्यालयों में हिन्दी विभाग के विद्यार्थियों की संख्या कितनी कम हुई है और हिन्दी के उत्थान के लिए क्या प्रयास किए जाना चाहिए, इसी पर आधारित है यह रिपोर्ट :

विशेषज्ञों से मिले कुछ सुझाव

* विद्यालयीन शिक्षा का माध्यम हर हाल में हिन्दी ही होना चाहिए
* विद्यालयों में हिन्दी के आधारभूत ज्ञान पर ध्यान देना चाहिए
* विभिन्न उद्देश्यों से होने वाले पत्र-व्यवहार में भी हिन्दी को प्राथमिकता दी जाना चाहिए।

विद्यार्थियों की संख्या 70 से घटकर 15

शहर के विभिन्न शासकीय महाविद्यालयों में हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर स्तर तक पढ़ाई की व्यवस्था है। चिंता की बात है कि आम विषयों की अपेक्षा हिन्दी विषय के विद्यार्थियों की संख्या लगातार गिर रही है। शासकीय कला व वाणिज्य महाविद्यालय की हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. पुष्पलता जैन मजेजी ने बताया कि दो साल में हिन्दी साहित्य के विद्यार्थियों की संख्या 70 से घटकर 15 हो गई है। सेमेस्टर पद्धति लागू होने और अन्य कारणों से भी हिन्दी साहित्य में नियमित विद्यार्थियों की संख्या तेजी से कम हो रही है।

घटती जा रही है रुचि

डॉ. अशोक वाजपेई ने बताया कि संस्थान में स्नातकोत्तर उपाधि के पूर्वार्द्ध में हिन्दी साहित्य के विद्यार्थियों की संख्या 20 है। पिछले कुछ सालों में यह कम हुई है, क्योंकि युवा वर्ग में हिन्दी भाषा की उपाधि हासिल करने की रुचि कम हुई है। हिन्दी के प्रति रुझान पैदा करने और ज्यादा से ज्यादा उपयोग के लिए विद्यालयीन स्तर से ही प्रयास की जरूरत है।

बढ़ें रोजगार के अवसर:-

हिन्दी विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. मनोरमा अग्रवाल ने बताया कि पिछली बार हिन्दी साहित्य के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम (पूर्वार्द्ध) में 16 विद्यार्थी थे, इस बार 8 ही हैं। विद्यार्थियों में हिन्दी के आधारभूत ज्ञान का अभाव होना इसका बड़ा कारण है। बच्चों को अच्छी हिन्दी लिखने, प़ढ़ने और सीखने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। मार्गदर्शिकाओं और कुंजियों से हटकर किताबों पर जोर दिया जाना तथा हिन्दी से संबंधित रोजगार के अवसर बढ़ाए जाना चाहिए।

अधूरा ज्ञान, ज्यादा कोशिश:-

अधिकांश वे ही लोग अंगरेजी बोलने की कोशिश करते हैं जिन्हें हिन्दी और अंगरेजी दोनों का ही अधूरा ज्ञान होता है। कई लोग बोलचाल की भाषा में अंगरेजी के शब्दों का उपयोग करते हैं, लेकिन व्याकरण हिन्दी की ही होती है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनका दोनों ही भाषाओं का ज्ञान कमजोर है।

कई लोग खुद के अधीनस्थ लोगों से अथवा कम शिक्षित लोगों से अंगरेजी में बात कर यह जताना चाहते हैं कि उनके ज्ञान का स्तर काफी ऊंचा हैं। खुद को ज्यादा श्रेष्ठ साबित करने का इस तरह का दिखावा छो़ड़कर मातृभाषा के प्रति गंभीरता रखी जाना चाहिए।

Thanks for reading...

Tags: हिन्दी के प्रति सम्मान जरूरी है Hindi Ke Prati Samman Jaruri Hai, Respect is necesory for Hindi अपनी राष्ट्रभाषा हिन्दी का सम्मान करें, हिंदी के बारे में विचार, हिंदी भाषा पर सुविचार, हिंदी के प्रति बढ़ते सम्मान एवं रुझान पर प्रकाश, हिन्दी दिवस पर हिन्दी के प्रति लोगों को प्रेरित करने हेतु, भाषा व मातृभूमि का सम्मान जरूरी.

Post a Comment

प्रिय दोस्त, आपने हमारा पोस्ट पढ़ा इसके लिए हम आपका धन्यवाद करते है. आपको हमारा यह पोस्ट कैसा लगा और आप क्या नया चाहते है इस बारे में कमेंट करके जरुर बताएं. कमेंट बॉक्स में अपने विचार लिखें और Publish बटन को दबाएँ.

और नया पुराने