Why put married woman vermilion औरतें मांग में सिंदूर क्यों लगाती हैं Aurten mang me sindur kyo lagati hai मांग में सिंदूर कैसे लगाते हैं? सिंदूर लगाने के फायदे, सिंदूर लगाने के तरीके, सिंदूर लगाने के नियम, सिंदूर लगाने के बारे में बताइए, सिंदूर लगाने के उपाय, मांग में सिंदूर कैसे लगाए? मांग में सिंदूर कैसे भरा जाता है? स्त्री मांग में सिंदूर क्यों लगाती है?
हम अक्सर देखते है की शादी के बाद महिलाऐं अपनी मांग में सिंदूर लगाती है लेकिन क्या कभी आपने सोचा है की सुहागन स्त्रियां मांग में सिंदूर क्यों लगाती हैं? आइये आज इस पोस्ट के माध्यम से जानकारी लेते है की सुहागन स्त्रियां मांग में सिंदूर क्यों लगाती हैं?
हम अक्सर देखते है की शादी के बाद महिलाऐं अपनी मांग में सिंदूर लगाती है लेकिन क्या कभी आपने सोचा है की सुहागन स्त्रियां मांग में सिंदूर क्यों लगाती हैं? आइये आज इस पोस्ट के माध्यम से जानकारी लेते है की सुहागन स्त्रियां मांग में सिंदूर क्यों लगाती हैं?
आपने देखा होगा कि विवाह के बाद हर सुहागन स्त्री सुहाग की निशानी
के तौर पर मांग में सिंदूर लगाती हैं। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर
सिंदूर को सुहाग की निशानी मानकर महिलाएं क्यों सिंदूर से मांग सजाती है।
- भारतीय वैदिक परंपरा खासतौर पर हिंदू समाज में शादी के बाद महिलाओं को मांग में सिंदूर भरना आवश्यक हो जाता है। आधुनिक दौर में अब सिंदूर की जगह कुमकुम और अन्य चीजों ने ले ली है।
- सवाल यह उठता है कि आखिर सिंदूर ही क्यों लगाया जाता है। दरअसल इसके पीछे धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक कारण भी है। यह कारण पूरी तरह स्वास्थ्य से जुडा है। सिर के उस स्थान पर जहां मांग भरी जाने की परंपरा है, मस्तिष्क की एक महत्वपूर्ण ग्रंथी होती है, जिसे ब्रह्मरंध्र कहते हैं। यह अत्यंत संवेदनशील भी होती है। यह मांग के स्थान यानी कपाल के अंत से लेकर सिर के मध्य तक होती है। सिंदूर इसलिए लगाया जाता है क्योंकि इसमें पारा नाम की धातु होती है। पारा ब्रह्मरंध्र के लिए औषधि का काम करता है। महिलाओं को तनाव से दूर रखता है और मस्तिष्क हमेशा चैतन्य अवस्था में रखता है।
- विवाह के बाद ही मांग इसलिए भरी जाती है क्योंकि विवाह के बाद जब गृहस्थी का दबाव महिला पर आता है तो उसे तनावए चिंता और अनिद्रा जैसी बीमारिया आमतौर पर घेर लेती हैं। पारा एकमात्र ऐसी धातु है जो तरल रूप में रहती है। यह मष्तिष्क के लिए लाभकारी है, इसी कारण सिंदूर मांग में भरा जाता है।
- महिला सिर के जिस स्थान पर सिंदूर लगाती हैं वह स्थान ब्रह्मरन्ध्र और अध्मि नामक कोमल स्थान के ठीक ऊपर होता है। माना जाता है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का यह स्थान अधिक कोमल और संवेदनशील होता है। सिंदूर में मौजूद तत्व इस स्थान से शरीर में मौजूद उर्जा को नियंत्रित करती है। इससे बाहरी दुष्प्रभाव से भी बचाव होता है।
- धार्मिक दृष्टि से सिंदूर लगाने का कारण ऐसी मान्यता है कि जब हनुमान जी ने सीता माता को सिंदूर लगाते देखा तो पूछ लिया कि "माता आप सिंदूर क्यों लगा रही हैं"। इसके उत्तर में देवी सीता ने कहा कि मांग में सिंदूर लगाने से पति की आयु लंबी होती है। पति-पत्नी के बीच प्रेम बना रहता है। देवी सीता के इस कथन के बाद से ही महिलाओं में सिंदूर से मांग भरने की परंपरा ने जोर पकडा।
- मांग में सिंन्दूर भरना औरतों के लिए सुहागिन होने की निशानी माना जाता है। विवाह के समय वर द्वारा वधू की मांग मे सिंदूर भरने के संस्कार को सुमंगली क्रिया कहते हैं। इसके बाद विवाहिता पति के जीवित रहने तक आजीवन अपनी मांग में सिन्दूर भरती है। हिंदू धर्म के अनुसार मांग में सिंदूर भरना सुहागिन होने का प्रतीक है।
- सिंदूर नारी श्रंगार का भी एक महत्तवपूर्ण अंग है।
- सिंदूर मंगल-सूचक भी होता है।
- शरीर विज्ञान में भी सिंदूर का महत्त्व बताया गया है। सिंदूर में पारा जैसी धातु अधिक होनेके कारण चेहरे पर जल्दी झुर्रियां नहीं पडती। साथ ही इससे स्त्री के शरीर में स्थित विद्युतीय उत्तेजना नियंत्रित होती है।
- मांग में जहां सिंदूर भरा जाता है, वह स्थान ब्रारंध्र और अध्मि नामक मर्म के ठीक ऊपर होता है। सिंदूर मर्म स्थान को बाहरी बुरे प्रभावों से भी बचाता है।
- सामुद्रिक शास्त्र में अभागिनी स्त्री के दोष निवारण के लिए मांग में सिंदूर भरने की सलाह दी गई है।
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