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अब चाय का मजा लीजिये पीकर ही नहीं बल्कि चबाकर भी Ab chay ka majaa lijiye pikar hi nahi balki chabakar bhi
Now take the fun of tea, not only by drinking rather with chewing अब चाय का मजा लीजिये पीकर ही नहीं बल्कि चबाकर भी Ab chay ka majaa lijiye pikar hi nahi balki chabakar bhi. चाय की सफेद पत्तियों को चबाते हैं यहाँ के लोग.
चाय हमारे जीवन का एक हिस्सा बन चुकी है। अब तक चाय को एक पेय पदार्थ के रूप में प्रयोग किया जाता था लेकिन अब चाय को चबाने के रूप में भी उपयोग किया जाने लगा है। इतना ही नहीं, इसे धूम्रपान करने वालों में निकोटीन के प्रभाव को ‘कम’ करने वाले पदार्थ के तौर पर भी देखा गया है।
चाय हमारे जीवन का एक हिस्सा बन चुकी है। अब तक चाय को एक पेय पदार्थ के रूप में प्रयोग किया जाता था लेकिन अब चाय को चबाने के रूप में भी उपयोग किया जाने लगा है। इतना ही नहीं, इसे धूम्रपान करने वालों में निकोटीन के प्रभाव को ‘कम’ करने वाले पदार्थ के तौर पर भी देखा गया है।
जर्मनी के कुछ हिस्सों में तो लोग अपनी सुस्ती दूर करने के लिए कुछ उसी तरह से चाय की सफेद पत्तियों को चबाते हैं जैसे कि भारत में लोग ‘पान मसाला’ चबाकर करते हैं।
यह वाकई में बहुत दिलचस्प है कि लोग वहां (जर्मनी में) तरोताजा महसूस करने के लिए सफेद चाय को पान मसाले की तरह लेना पसंद करते हैं।’ चाय उद्योग में सफेद चाय की किस्म बहुत महंगी है। इनकी पत्तियों को हाथों से तोड़ा जाता है और निर्यात से पहले इन्हें धूप में सुखाया जाता है।
अन्य किस्मों से इतर सफेद पत्तियां अप्रसंस्कृत होती हैं और इसीलिए उनमें अधिक मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट मौजूद होता है। यहां तक कि सेहत के लिहाज से भी इसे 'ग्रीन टी' से अधिक फायदेमंद माना जाता है।
सफेद चाय का निर्माण चाय की पत्तियों से नहीं बल्कि इसकी कोपलों (नई और नर्म पत्तियों) से होता है। उपभोक्ता इसे मुंह में चबाते हैं और धूम्रपान करने वालों के बीच इसे निकोटीन की विषाक्तता कम करने के तौर पर भी जाना जाता है।
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