मनहूस कौन है - अकबर बीरबल की कहानी - Birbal Ki Kahani in Hindi
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दिल्ली में देवीदास नाम का एक व्यक्ति रहता था, उसके लिए यह प्रसिद्ध था कि जो कोई उसका सुबह -सुबह मूंह देख लेता उसको सारा दिन खाना नसीब नहीं होता. यह बात फैलते-फैलते बादशाह अकबर के कानों तक पहूंची, उन्होंने विचार किया कि यह बात सत्य हैं या असत्य इसका निर्णय करना चाहिए.
यह विचार करके अकबर बादशाह ने देवीदास को बुलाया और रात में उसको अपने शयन-घर के पास एकांत कक्ष में सुला दिया. दूसरे दिन सुबह उठकर सबसे पहले उन्होंने उसका मूंह देखा और विचार किया कि देखें आज क्या होता है ?
फिर अकबर बादशाह दरबार में चले गये, सभी आवश्यक कार्यों को सपंन्न करके वह भोजन करने के लिए पधारे, बावर्ची ने विभिन्न प्रकार के भोजन थाल में भरकर अकबर बादशाह के सामने रख दिये, लेकिन अचानक थाल से एक मरी हुई मकडी निकल पडी जिससे अकबर बादशाह को ग्लानि उत्पन्न हो गई और वह भोजन किये बिना ही उठ खडे हुए
तब तत्काल दूसरा खाना बनाया गया लेकिन उसमें बहुत देर हो गई थी इसलिए उस दिन अकबर बादशाह को शाम चार बजे भोजन मिला. इस संयोग से अकबर बादशाह को विश्वाश हो गया कि देवीदास निःसंदेह मनहूस है, इसलिए इसको मरवा डालना चाहिए.
यह विचार मन में करके उन्होंने जल्लादों को बुलाकर हुक्म दिया की इस दुष्ट को तुरन्त फांसी दे दो, हुक्म पाकर जल्लाद देवीदास को फांसीघर की ओर ले जाने लगे तभी रास्ते में बीरबल मिल गये, देवीदास की बात सुन उसको एकान्त में ले जाकर बीरबल ने समझाया जिस समय जल्लाद सुलीघर में ले जाकर पूछे कि तेरी आखिरी इच्छा क्या है ?
तब तुम यह कहना – मेरी यह इच्छा हैं कि मैं नगर के लोगों के सामने यह प्रकट करूं कि मेरा मुख देखने से तो लोगों को सिर्फ खाना ही नहीं मिलता था लेकिन सुबह के समय जो अकबर बादशाह का मूंह देखेगा उसको फांसी होगी क्योंकि आज सुबह मैंने अकबर बादशाह का मुंह देखा था. जिसकी वजह से मैं अब सुली पर चढाया जा रहा हूं.
यह कहकर बीरबल चले गये. जल्लाद देवीदास को लेकर फांसीघर पहूंचे जल्लादों ने देवीदास से पूछा- तेरी अंतिम इच्छा क्या है? देवीदास ने बीरबल की बातों के अनुसार उनको जवाब दिया जिसको सुनकर वे अचंभित रह गये.
तब अकबर के समक्ष प्रस्तुत हो देवीदास की इच्छा बताई गई. यह सुनकर अकबर बादशाह घबराये और जल्लादों से बोले – उसे फांसी मत दो और मेरे पास ले आओ. बादशाह की आज्ञानुसार जल्लाद देवीदास को दरबार में ले आए उसे देखते ही अकबर ने इनाम दिया और यह कहा की इस बात को किसी से मत कहना बाद में यह मालूम होने पर कि देवीदास को यह बात बीरबल ने सुझाई थी बादशाह अकबर बीरबल की बुद्धि से बहुत प्रभावित हुए.
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