आइये जानते है कि चतुर्दशी को पीपल पर दूध क्यों चढ़ाया जाता है? Pipal par dudh kyo chdhaya jata hai, चतुर्दशी को पीपल पर दूध चढ़ाने का कारण वजह, जानिये चतुर्दशी को पीपल पर दूध चढ़ाने से क्या होता है?
अब तक आपने देखा होगा कि लोग चतुर्दशी को पीपल पर दूध चढ़ाते है लेकिन क्या कभी आपने इसके बारे में जानने किए कोशिश की है कि लोग ऐसा क्यों करते है.
आइये आज इस बारे में जानकारी लेते है..
भारतीय परंपरा में पीपल के पेड़ को पूज्यनीय माना जाता है। वेदों में भी पीपल के पेड़ को पूज्य माना गया है। पीपल की छाया तप, साधना के लिए ऋषियों का प्रिय स्थल माना जाता था। महात्मा बुद्ध का बोधक्तनिर्वाण पीपल की घनी छाया से जुड़ा हुआ है।
शास्त्रों के अनुसार पीपल में भगवान विष्णु का निवास माना गया है और विष्णु को पितृ के देवता माना गया है क्योंकि प्रसिद्ध ग्रन्थ व्रतराज की अश्वत्थोपासना में पीपल वृक्ष की महिमा का उल्लेख है।
इसमें अर्थवणऋषि पिप्पलादमुनि को बताते हैं कि प्राचीन काल में दैत्यों के अत्याचारों से पीडि़त समस्त देवता जब विष्णु के पास गए और उनसे कष्ट मुक्ति का उपाय पूछा, तब प्रभु ने उत्तर दिया-मैं अश्वत्थ के रूप में भूतल पर प्रत्यक्ष रूप से विद्यमान हूं।
इसलिए यह मान्यता हैं विष्णु भगवान के स्वरूप पीपल को पितृ निमित्त जो भी चढ़ाया जाता है। उससे हमारे पूर्वजों को तृप्ति मिलती है। चौदस और अमावस्या पितृ के दिन माने जाते है इसलिए इस दिन पूर्वजों की तृप्ति के लिए पीपल को दूध और जल चढ़ाया जाता है।
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भारतीय परंपरा में पीपल के पेड़ को पूज्यनीय माना जाता है। वेदों में भी पीपल के पेड़ को पूज्य माना गया है। पीपल की छाया तप, साधना के लिए ऋषियों का प्रिय स्थल माना जाता था। महात्मा बुद्ध का बोधक्तनिर्वाण पीपल की घनी छाया से जुड़ा हुआ है।
शास्त्रों के अनुसार पीपल में भगवान विष्णु का निवास माना गया है और विष्णु को पितृ के देवता माना गया है क्योंकि प्रसिद्ध ग्रन्थ व्रतराज की अश्वत्थोपासना में पीपल वृक्ष की महिमा का उल्लेख है।
इसमें अर्थवणऋषि पिप्पलादमुनि को बताते हैं कि प्राचीन काल में दैत्यों के अत्याचारों से पीडि़त समस्त देवता जब विष्णु के पास गए और उनसे कष्ट मुक्ति का उपाय पूछा, तब प्रभु ने उत्तर दिया-मैं अश्वत्थ के रूप में भूतल पर प्रत्यक्ष रूप से विद्यमान हूं।
इसलिए यह मान्यता हैं विष्णु भगवान के स्वरूप पीपल को पितृ निमित्त जो भी चढ़ाया जाता है। उससे हमारे पूर्वजों को तृप्ति मिलती है। चौदस और अमावस्या पितृ के दिन माने जाते है इसलिए इस दिन पूर्वजों की तृप्ति के लिए पीपल को दूध और जल चढ़ाया जाता है।
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