Home
» Important
» ZZZ
» संस्कार क्या है? हिन्दू धर्म के सोलह संस्कार कौन से है? Hindu dharma ke 16 sanskar
संस्कार क्या है? हिन्दू धर्म के सोलह संस्कार कौन से है? Hindu dharma ke 16 sanskar
संस्कार क्या है? हिन्दू धर्म के सोलह संस्कार कौन से है? Hindu dharma ke 16 sanskar, हर किसी के जीवन में जरूरी होते हैं 16 संस्कार, क्या है सोलह संस्कार और क्यों आवश्यक है? सोलह संस्कार क्यों बनाए गए? गर्भ से लेकर मृत्यु तक कौन से 16 संस्कार दिए जाते है? क्या आप जानते हैं, सोलह संस्कार क्यों बनाए गए?
हमारे पूर्वजों ने हर काम बहुत सोच-समझकर किया है। जैसे जीवन का चार आश्रम में विभाजन, समाज का चार वर्णो में वर्गीकरण, और सोलह संस्कार को अनिवार्य किया जाना दरअसल हमारे यहां हर परंपरा बनाने के पीछे कोई गहरी सोच छूपी है।
सोलह संस्कार बनाने के पीछे भी हमारे पूर्वजों की गहरी सोच थी तो आइए जानते हैं कि जीवन में इन सोलह संस्कारो को अनिवार्य बनाए जाने का क्या कारण था?
Tags: संस्कार क्या है? हिन्दू धर्म के सोलह संस्कार कौन से है? Hindu dharma ke 16 sanskar, हर किसी के जीवन में जरूरी होते हैं 16 संस्कार, क्या है सोलह संस्कार और क्यों आवश्यक है? सोलह संस्कार क्यों बनाए गए? गर्भ से लेकर मृत्यु तक कौन से 16 संस्कार दिए जाते है? क्या आप जानते हैं, सोलह संस्कार क्यों बनाए गए?
हमारे पूर्वजों ने हर काम बहुत सोच-समझकर किया है। जैसे जीवन का चार आश्रम में विभाजन, समाज का चार वर्णो में वर्गीकरण, और सोलह संस्कार को अनिवार्य किया जाना दरअसल हमारे यहां हर परंपरा बनाने के पीछे कोई गहरी सोच छूपी है।

सोलह संस्कार बनाने के पीछे भी हमारे पूर्वजों की गहरी सोच थी तो आइए जानते हैं कि जीवन में इन सोलह संस्कारो को अनिवार्य बनाए जाने का क्या कारण था?
- गर्भाधान संस्कार- यह ऐसा संस्कार है जिससे हमें योग्य, गुणवान और आदर्श संतान प्राप्त होती है।
- पुंसवन संस्कार- यह संस्कार किया जाता है। पुंसवन संस्कार के दो प्रमुख लाभ- पुत्र प्राप्ति और स्वस्थ, सुंदर गुणवान संतान है।
- सीमन्तोन्नयन संस्कार- यह संस्कार गर्भ के चौथे, छठवें और आठवें महीने में किया जाता है। इस समय गर्भ में पल रहा बच्च सीखने के काबिल हो जाता है। उसमें अच्छे गुण, स्वभाव और कर्म आएं, इसके लिए मां उसी प्रकार आचार-विचार, रहन-सहन और व्यवहार करती है।
- जातकर्म संस्कार- बालक का जन्म होते ही इस संस्कार को करने से गर्भस्त्रावजन्य दोष दूर होते हैं।
- नामकरण संस्कार- जन्म के बाद 11वें या सौवें दिन नामकरण संस्कार किया जाता है। ब्राह्मण द्वारा ज्योतिष आधार पर बच्चे का नाम तय किया जाता है।
- निष्क्रमण संस्कार- निष्क्रमण का अर्थ है बाहर निकालना। जन्म के चौथे महीने में यह संस्कार किया जाता है। हमारा शरीर पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश जिन्हें पंचभूत कहा जाता है, से बना है। इसलिए पिता इन देवताओं से बच्चे के कल्याण की प्रार्थना करते हैं।
- अन्नप्राशन संस्कार- यह संस्कार बच्चे के दांत निकलने के समय अर्थात 6-7 महीने की उम्र में किया जाता है। इस संस्कार के बाद बच्चे को अन्न खिलाने की शुरुआत हो जाती है।
- मुंडन संस्कार- बच्चे की उम्र के पहले वर्ष के अंत में या तीसरे, पांचवें या सातवें वर्ष के पूर्ण होने पर बच्चे के बाल उतारे जाते हैं चूड़ाकर्म संस्कार कहा जाता है। इससे बच्चे का सिर मजबूत होता है तथा बुद्धि तेज होती है।
- कर्णवेध संस्कार- इसका अर्थ है- कान छेदना। परंपरा में कान और नाक छेदे जाते थे। इसके दो कारण हैं, एक- आभूषण पहनने के लिए। दूसरा- कान छेदने से एक्यूपंक्चर होता है। इससे मस्तिष्क तक जाने वाली नसों में रक्त का प्रवाह ठीक होता है।
- उपनयन संस्कार- उप यानी पास और नयन यानी ले जाना। गुरु के पास ले जाने का अर्थ है उपनयन संस्कार। आज भी यह परंपरा है। जनेऊ में तीन सूत्र होते हैं। ये तीन देवता- ब्रह्म, विष्णु, महेश के प्रतीक हैं।
- विद्यारंभ संस्कार- जीवन को सकारात्मक बनाने के लिए शिक्षा जरूरी है। शिक्षा का शुरू होना ही विद्यारंभ संस्कार है। गुरु के आश्रम में भेजने के पहले अभिभावक अपने पुत्र को अनुशासन के साथ आश्रम में रहने की सीख देते हुए भेजते थे।
- वेदारंभ संस्कार - इस संस्कार के अंतर्गत व्यक्ति को वेदों का ज्ञान दिया जाता है।
- केशांत संस्कार- केशांत संस्कार अर्थ है केश यानी बालों का अंत करना, उन्हें समाप्त करना। विद्या अध्ययन से पूर्व भी केशांत किया जाता है। मान्यता है गर्भ से बाहर आने के बाद बालक के सिर पर माता-पिता के दिए बाल ही रहते हैं। इन्हें काटने से शुद्धि होती है। शिक्षा प्राप्ति के पहले शुद्धि जरूरी है, ताकि मस्तिष्क ठीक दिशा में काम करें।
- समावर्तन संस्कार- समावर्तन संस्कार अर्थ है फिर से लौटना। आश्रम में शिक्षा प्राप्ति के बाद ब्रह्मचारी को फिर दीन-दुनिया में लाने के लिए यह संस्कार किया जाता था। इसका आशय है ब्रह्मचारी को मनोवैज्ञानिक रूप से जीवन के संघर्षो के लिए तैयार हैं।
- विवाह संस्कार - यह धर्म का साधन है। दोनों साथ रहकर धर्म के पालन के संकल्प के साथ विवाह करते हैं। विवाह के द्वारा सृष्टि के विकास में योगदान दिया जाता है। इसी से व्यक्ति पितृऋण से मुक्त होता है।
- अंत्येष्टी संस्कार - अंत्येष्टि संस्कार इसका अर्थ है अंतिम यज्ञ। आज भी शवयात्रा के आगे घर से अग्नि जलाकर ले जाई जाती है। इसी से चिता जलाई जाती है। आशय है विवाह के बाद व्यक्ति ने जो अग्नि घर में जलाई थी उसी से उसके अंतिम यज्ञ की अग्नि जलाई जाती है। इससे पर्यावरण की रक्षा होती है।
Tags: संस्कार क्या है? हिन्दू धर्म के सोलह संस्कार कौन से है? Hindu dharma ke 16 sanskar, हर किसी के जीवन में जरूरी होते हैं 16 संस्कार, क्या है सोलह संस्कार और क्यों आवश्यक है? सोलह संस्कार क्यों बनाए गए? गर्भ से लेकर मृत्यु तक कौन से 16 संस्कार दिए जाते है? क्या आप जानते हैं, सोलह संस्कार क्यों बनाए गए?
आपके लिए कुछ विशेष लेख
- इंडियन गांव लड़कियों के नंबर की लिस्ट - Ganv ki ladkiyon ke whatsapp mobile number
- सेक्स करने के लिए लड़की चाहिए - Sex karne ke liye sunder ladki chahiye
- सेक्सी वीडियो डाउनलोड कैसे करें - How to download sexy video
- Ghar Jamai rishta contact number - घर जमाई लड़का चाहिए
- रण्डी का मोबाइल व्हाट्सअप्प कांटेक्ट नंबर - Randi ka mobile whatsapp number
- नई रिलीज होने वाली फिल्मों की जानकारी और ट्रेलर, new bollywood movie trailer 2018
- chusne wali ladkiyon ke number - चूसने वाली लड़कियों के मोबाइल व्हाट्सएप्प नंबर
- अनाथ मुली विवाह संस्था फोन नंबर चाहिए - Anath aashram ka mobile number
- महिलाओं को चक्कर आना कारण और इलाज - Mahilaon ko chakkar aana in hindi
- UDISE + PLUS CODE, School Directory Management, School Data Capture
एक टिप्पणी भेजें
प्रिय दोस्त, आपने हमारा पोस्ट पढ़ा इसके लिए हम आपका धन्यवाद करते है. आपको हमारा यह पोस्ट कैसा लगा और आप क्या नया चाहते है इस बारे में कमेंट करके जरुर बताएं. कमेंट बॉक्स में अपने विचार लिखें और Publish बटन को दबाएँ.