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सुबह ध्यान करना चाहिए ऐसा क्यों कहा जाता है? Subah ke samay dhyan karna kyo jaruri hai?
सुबह ध्यान करना चाहिए ऐसा क्यों कहा जाता है? Subah ke samay dhyan karna kyo jaruri hai? ध्यान लगाने के तरीके इन हिंदी, ध्यान करने का सही समय व तरीका कौन सा है? ध्यान साधना कैसे करे? मैडिटेशन टिप्स, मैडिटेशन टेक्निक्स इन हिंदी, मेडिटेशन की शुरुआत करने के टिप्स, सुबह उठ कर सबसे पहले करे यह काम, दिन होगा खास.
किसी भी व्यक्ति से मिलते समय आपका व्यक्तित्व ही सामने वाले व्यक्ति पर अच्छा-बुरा प्रभाव डालता है। इसी वजह से आज सभी आकर्षक व्यक्तित्व बनाने के लिए कई प्रकार के प्रयत्न करते हैं। अष्टांग योग के विद्वानों के अनुसार ध्यान से हम खुद को निखार सकते हैं।
सुबह के समय हमारा शरीर और मन दोनों स्फूर्ति भरे होते हैं। ताजगी का एहसास होता है और दिमाग में किसी प्रकार का दबाव नहीं होता। सुबह ध्यान करने से किसी तरह की बातें और विचार हमारे दिमाग में दिनभर नहीं चलते हैं, जिससे हमारे स्वास्थ्य और व्यवहार दोनों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
पूजन के बाद या सवेरे जल्दी उठकर ध्यान करने का बड़ा महत्व है। मंदिर में दर्शन के बाद थोड़ी देर बैठने का जो नियम है वह ध्यान के लिए ही होता है। ध्यान अपनी-अपनी रुचि के अनुसार किसी का भी किया जा सकता है।
जैसे दीपक की लौ, कोई बिंदू, ईश्वर के रूप आदि। महत्व - सभी धर्मों की पूजा पद्धतियों और धर्म ग्रंथों में ध्यान को बहुत महत्व दिया गया है। ध्यान से मन, बुद्धि, चित्त, स्थिर होता है, तथा शरीर में ऊर्जा का निर्माण होता है।
दिमाग की सारी शक्ति एक लक्ष्य पर केंद्रित हो जाती है, तथा दिनभर ध्यान करने वाला व्यक्ति अपने लक्ष्य से नहीं भटकता। योग साधना में भी ध्यान का सातवां स्थान है। ध्यान का वैज्ञानिक महत्व - विचार शक्ति मनुष्य के पास एक अत्यंत महत्वपूर्ण शक्ति है।
यदि मनुष्य अपने विचारों पर नियंत्रण कर सके तो वह असंभव को भी संभव में बदल सकता है। मनुष्य अपनी विचार शक्ति का अधिकांश भाग व्यर्थ की अनावश्यक कल्पनाओं में खर्च करता रहता है।
यदि मनुष्य ध्यान के माध्यम से विचारों पर नियंत्रण कर उसे अपने सार्थक और निश्चित लक्ष्य पर लगाए तो उसका हर कार्य सुगमता पूर्वक संपन्न हो जाता है।
अत: ध्यान एक ऐसी अद्भूत वैज्ञानिक विधा है। जो मनुष्य को विचार शक्ति का सदुपयोग करना एवं एकाग्रता सिखाता है।
वहीं अगर हम दिन या शाम के वक्त ध्यान करते हैं तो वैसा प्रभाव नहीं बना पाती, इसका मुख्य कारण है कि दिन में हम कामकाज में व्यस्त रहते हैं और इसी चिंता और कई तरह की बातें हमारे दिमाग में चलती रहती हैं, इस कारण ध्यान का हमको वैसा लाभ नहीं मिल पाता जितना मिलना चाहिए।
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Tags: सुबह ध्यान करना चाहिए ऐसा क्यों कहा जाता है? Subah ke samay dhyan karna kyo jaruri hai? ध्यान लगाने के तरीके इन हिंदी, ध्यान करने का सही समय व तरीका कौन सा है? ध्यान साधना कैसे करे? मैडिटेशन टिप्स, मैडिटेशन टेक्निक्स इन हिंदी, मेडिटेशन की शुरुआत करने के टिप्स, सुबह उठ कर सबसे पहले करे यह काम, दिन होगा खास.
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सुबह के समय हमारा शरीर और मन दोनों स्फूर्ति भरे होते हैं। ताजगी का एहसास होता है और दिमाग में किसी प्रकार का दबाव नहीं होता। सुबह ध्यान करने से किसी तरह की बातें और विचार हमारे दिमाग में दिनभर नहीं चलते हैं, जिससे हमारे स्वास्थ्य और व्यवहार दोनों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
पूजन के बाद या सवेरे जल्दी उठकर ध्यान करने का बड़ा महत्व है। मंदिर में दर्शन के बाद थोड़ी देर बैठने का जो नियम है वह ध्यान के लिए ही होता है। ध्यान अपनी-अपनी रुचि के अनुसार किसी का भी किया जा सकता है।
जैसे दीपक की लौ, कोई बिंदू, ईश्वर के रूप आदि। महत्व - सभी धर्मों की पूजा पद्धतियों और धर्म ग्रंथों में ध्यान को बहुत महत्व दिया गया है। ध्यान से मन, बुद्धि, चित्त, स्थिर होता है, तथा शरीर में ऊर्जा का निर्माण होता है।
दिमाग की सारी शक्ति एक लक्ष्य पर केंद्रित हो जाती है, तथा दिनभर ध्यान करने वाला व्यक्ति अपने लक्ष्य से नहीं भटकता। योग साधना में भी ध्यान का सातवां स्थान है। ध्यान का वैज्ञानिक महत्व - विचार शक्ति मनुष्य के पास एक अत्यंत महत्वपूर्ण शक्ति है।
यदि मनुष्य अपने विचारों पर नियंत्रण कर सके तो वह असंभव को भी संभव में बदल सकता है। मनुष्य अपनी विचार शक्ति का अधिकांश भाग व्यर्थ की अनावश्यक कल्पनाओं में खर्च करता रहता है।
यदि मनुष्य ध्यान के माध्यम से विचारों पर नियंत्रण कर उसे अपने सार्थक और निश्चित लक्ष्य पर लगाए तो उसका हर कार्य सुगमता पूर्वक संपन्न हो जाता है।
अत: ध्यान एक ऐसी अद्भूत वैज्ञानिक विधा है। जो मनुष्य को विचार शक्ति का सदुपयोग करना एवं एकाग्रता सिखाता है।
वहीं अगर हम दिन या शाम के वक्त ध्यान करते हैं तो वैसा प्रभाव नहीं बना पाती, इसका मुख्य कारण है कि दिन में हम कामकाज में व्यस्त रहते हैं और इसी चिंता और कई तरह की बातें हमारे दिमाग में चलती रहती हैं, इस कारण ध्यान का हमको वैसा लाभ नहीं मिल पाता जितना मिलना चाहिए।
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