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दुनिया के पांच श्रापित खजाने, जो भी खोजने जाता है उसे मिलती है मौत
नर्इ दिल्ली। अगर आपको किसी छिपे हुए खजाने के बारे में पता चले तो आप उस खजाने की खोज में निकल पड़ेंगे। जब तक वो खजाना नहीं मिल जाता तब तक आप वापस नहीं लौटेंगे। फिर उसके लिए आपको कितनी ही तकलीफों का सामना करना पड़े। ये किसी बाॅलीवुड या हाॅलीवुड की कोर्इ स्क्रीप्ट नहीं, बल्कि सच्चार्इ है। आज हम आपको एेसे ही दुनिया के पांच खजानों के बारे में बजाने जा रहे हैं जिनको तलाश करने के लिए कर्इ लोग निकले लेकिन वापस नहीं लौट सके। आइए आपको भी बताते हैं इन खजानों के बारे में…
चार्ल्स आइलैंड के इस श्रापित खजाने को नहीं तलाश सका कोर्इ
अमरीका में मिलफोर्ड के पास एक छोटा सा द्वीप है इस पुरे द्वीप को श्रापित माना जाता है।मैक्सिकन सम्राट गुआजमोजिन का धन 1721 में चोरी हो गया था और उसे यहां के मल्लाहों ने छिपा दिया था। 1850 में यहां कुछ लोग खजाने की तलाश में पहुंचे तो प्रेत्माओं ने उन्हें मार दिया। उनके यहां पहुंचते ही हड्डियों के ढांचों से आग की लपटे निकलने लगी थी। यहां पर आज तक किसी को खजाना नहीं मिल सका। वहां जाने की कोशिश करने वाले बताते हैं कि वहां रहस्यम लाइट्स दिखाई देती है और अजीब-अजीब आवाजें सुनाई देती।
ओक आइलैंड के खजाने को तलाशने में चली गर्इ जानें
ओक आइलैंड का रहस्य सबसे पहले 1795 में कुछ बच्चों ने खोजा था। जिन्होंने कनाडा के नोवा स्कोटिया तट के पास एक छोटे से द्वीप पर रहस्यमर्इ रौशनी देखी। जब बच्चे वहां पर पहुंचे तो उन्हें वहां पर ताज़ा खुदा हुआ खड्डा दिखार्इ दिया। वहां पर लुटेरों का आना जाना भी होता था। एेसे में बच्चों ने सोचा कि यहां पर जरूर कोर्इ खजाना होगा। जब उन्हाेंने गड्डे की खुदाई की तो उन्हें अंदर से लकड़ी के अवरोधक और नारियल के खोलों की परते दिखार्इ दी। साथ ही एक पत्थर का टुकड़ा भी मिला। जिस पर ‘फोर्टी फीट बिलो टू मिलियन पाउंड्स आर ब्रीड’ लिखा हुआ था। यानि की चालीस फ़ीट की गहराई पर दो मिलियन पाउंड दफ़न हैं। जिसके बाद दुनिया भर के बहुत से लोगों ने यहां धन की तलाश की। जिनमें अमरीका के राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट भी शामिल थे। लेकिन वो तब राष्ट्रपति नहीं बने थे। आज भी लोग यहां धन की तलाश कर रहे हैं। इस खजाने को पाने की कोशिश में पहली मौत का पता 1861 में चला जब पंप फट गया और एक मजदूर की मौत हो गई। एक किवदंती यह भी है कि इस खजाना को पाने से पहले 7 मौतें होनी चाहिए।
द लॉस्ट डचमैन माइन का खजाना
एक किवदंती के अनुसार एक सोने की खदान अमरीका के साउथ वेस्टर्न इलाके में है। माना जाता है कि यह सुपरसटीशन माउंटेन में कहीं है। यह ऐरिजोना में ईस्ट फोनिक्स के पास अपाचे जंक्शन के पास है। यहां की अपाचे जनजातियों के बीच यह मान्यता है कि गर्जना का देवता र्इर्ष्या है और किसी को भी इस खजाने के पास जाने नहीं देना चाहता है। स्पेन के फ्रांसिस्को वास्क डी कोरोनाडो (1510-1524) ने जब इस खदान को खोजने की कोशिश की तो उसके लोगों की मौत होने लगी और उनकी लाशों से ढेर लग गए। 1845 में यहां डॉन मिगुएल पेराल्टा को कुछ सोना मिला लेकिन स्थानीय अपाचे आदिवासियों ने उसकी हत्या कर दी और उन्होंने सोने को पूरे इलाके में बिखेर दिया और खदान का प्रवेश द्वार को नष्ट कर दिया गया।
एक डच व्यक्ति वाल्ज जो जर्मनी से यहां आया था। उसने 20 साल की तलाश के बाद इस खदान को पाने का दावा किया था, लेकिन इसका पता बताने से पहले ही उसकी मौत हो गई।
सोने का कमरे को तलाशने वालों की हुुर्इ मौत
द अंबेर रूम, सोने का बना एक कमरा नुमा चैम्बर था, जिसका निर्माण 1707 में पर्शिया में हुआ था। द अंबेर रूम के अंदर पूरा काम सोने का था। इसे कुछ लोग विश्व का आठवां आश्चर्य भी कहते थे। यह रूस और पर्शिया के बीच शांति संधि के उत्सव के दौरान 1718 में पीटर द ग्रेट को गिफ्ट के तौर पर मिली थी। तब से द अंबेर रूम रूस में ही था। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान 1941 में नाजियों ने इस पर कब्जा कर लिया और इसे सुरक्षित करने के लिए अलग-अलग भागों में बांट दिया। इन समस्त टुकड़ों को 1943 में एक म्युजियम में प्रदर्शित किया गया। जहां से यह पूरा का पूरा द अंबेर रूम गायब हो गया जिसका की आज तक पता नहीं चला है। इसके गायब होने के बाद इससे जुड़े लोगो की रहस्यमर्इ मौतों का सिलसिला शुरू हुआ। म्युजियम के संरक्षक अल्फ्रेड रोड और पत्नी की मौत हो गर्इ। वह डॉक्टर गायब हो गया जिसने उनके डेथ सर्टिफिकेट पर हस्ताक्षर किए थे। इस रूम से जुड़े रहे रूसी जनरल गुसेव की रहस्मय परिस्थितियों में हुई कार दुर्घटना में मौत हो गर्इ। अंबेर रूम को खोजने वाले एक जॉर्ज स्टेइन की जंगल में मौत हो गर्इ।
काहुएंगा दर्रा का खजाना
इस खजाने की कहानी 1864 से शुरू हुर्इ। जब मैक्सिको के राष्ट्रपति बेनिटो जुआरेज ने अपने चार सैनिकों को एक खजाने के साथ सेन फ्रांस्सिको भेजा था। इसमें सोने के सिक्के और बेशकीमती जेवरात थे। रास्ते में एक सैनिक की मौत हो गई तो तीनों ने बीच रास्तें में खजाने को जमीन के अंदर गाड़ दिया। लेकिन वहां घूम रहे एक व्यक्ति डियागो मोरेना ने यह देख लिया। बाद में उसने इस धन को निकाला और लॉस एंजलिस की ऊपरी पहाड़ी पर गाड़ दिया। उसी रात उसने एक स्वप्न देखा कि इस खजाने से अगर वह धन लाएगा तो उसकी मौत हो जाएगी। इसके बाद उसकी मौत हो गई। डियागो की मौत के बाद उसके मित्र जीसस मार्टिनेज ने इस खजाने को पाने के लिए अपने सौतेले पुत्र के साथ जैसे ही खुदाई करना शुरू की उसकी मौत हो गई। इसके बाद जीसस मार्टिनेज के सौतेले बेटे की मौत भी एक फायरिंग में हो गई। इस खजाने का थोड़ा हिस्सा 1885 में बास्क शेफर्ड को मिला लेकिन जब वह जहाज से स्पेन जा रहा था तो सोने के सिक्कों के साथ वह समुद्र में डूब गया। इसके बाद मौतों का सिलसिला शुरू हो गया। अगर हम सैनिकों सहित सभी की गिनती करें तो 9 लोग इस खजाने के चक्कर में मर चुके हैं।
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