ऐसी स्त्रियों को शास्त्रों में शुभ नहीं माना गया है, Ye aurten hoti hai ashubh

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ऐसी स्त्रियों को शास्त्रों में शुभ नहीं माना गया है, Ye aurten hoti hai ashubh

हेल्लो दोस्तों, आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से जानकारी देने जा रहे है कि जिस स्त्री को हमारे ग्रंथों में लक्ष्मी कहा गया है, ज्योतिष के ग्रंथों में इन्हीं स्त्रियों के चाल-चलन से जुड़ी कुछ बातों का रोचक वर्णन मिलता है.

जिन स्त्रियों में हों ऐसे लक्षण उन्हें शास्त्रों में शुभ नहीं माना गया है-

दुनियां के प्रसिद्ध ग्रंथ बृहद संहिता में स्त्रियों के दो प्रकार शुभ लक्षणा और अशुभ लक्षणा बताए गए है. शुभ लक्षणा को साक्षात लक्ष्मी का स्वरूप कहा जाता है, वहीं अशुभ लक्षणा को अलक्ष्मी का नाम दिया जा सकता है.

आज के इस लेख में हम आपको स्त्रियों के कुछ ऐसे ही शारीरिक लक्षणों के बारे में बताने जा रहे जिन्हें इस ग्रंथ में शुभ नही माना गया है.

"कनिष्ठिका वा तदनन्तरा वा महीं न यस्या: स्पृशति स्त्रिया: स्यात्।
गताथवङ्गुष्ठमतीत्य यस्या: प्रदेशिनी सा कुलटातिपापा।।"

जिस स्त्री के पैर की सबसे छोटी या उसके बराबर वाली अंगुली धरती से नहीं छूती हो अथवा अंगूठे के बराबर की अंगुली अंगूठे से ज्यादा लंबी हो तो उस स्त्री का चरित्र परिस्थिति के अनुसार बदल सकता है. ऐसी औरतों के लिए नियंत्रण मेंं न रहना, पाप करना और ज्यादा गुस्सा करना स्वाभाविक बात है. जिस औरत की पिण्डली का पिछला भाग मोटा होता है और बहुत ऊपर की ओर चढ़ा हुआ सा होता है और साथ ही नसें उभरी हुई हों तो ऐसी स्त्रियों को शुभ नहीं माना जाता है। यदि यह भाग मांसहीन, सूखा सा हो, पिण्डली पर बहुत रोम हों तो ऐसी स्त्री बहुत दु:ख पाती है। गुहा भाग के बाल वामावर्त रोमों से युक्त हो या यह भाग दबा हुआ सा हो तो अशुभ होता है। यदि पेट घड़े के समान हो तो जीवन में हमेशा दरिद्रता बनी रहती है।  पेट पतला, लंबा या गड्ढेदार हो तब भी अच्छा नही माना जाता है.

"प्रविलम्बिनि देवरं ललाटे, श्वसुर हन्त्युदरे स्फिजो: पतिं च।
अतिरोमचयाान्वितोत्तरोष्ठी, न शुभा भर्तुरतीव या च दीर्घा।।"

जिस महिला का माथा लंबा हो वो देवर के लिए, जिसका पेट लंबा हो वो ससुर के लिए और जिसका कमर के नीचे वाला भाग भारी हो वो स्त्री पति के लिए अनिष्टकारी होती है.

जिस स्त्री के मूंछों की जगह पर ज्यादा रोएं हो या जिस स्त्री का कद ज्यादा लंबा हो वो पति के लिए शुभ नहीं होती है. जिस स्त्री के कान रोएंदार हों, मैले हों और असमान आकार के हों वो हमेशा क्लेश का कारण बनती है. जिस स्त्री के दांत मोटे, चौड़े या ज्यादा लंबे हों और बाहर निकले हों तो उसके जीवन में हमेशा दुख ही दुख रहता है. जिस स्त्री कर मसूड़े काले हो उनका भाग्य उनका अधिक साथ नही देता है.

"क्रव्यादरूपैर्वृककाकङ्सरीसृपोलूकसमानचिन्है:।
शुष्कै: शिरालैर्विषमैश्च हस्तैर्भवन्ति नार्य सुखवित्तहीना:।।"

ऐसी स्त्रियों को शास्त्रों में शुभ नहीं माना गया है-

जिस स्त्री की हथेली पर मांसभक्षी पक्षी का चिन्ह हो, भेडिय़ा, कौआ, सांप, उल्लू जैसा चिन्ह हों तो वह स्त्री दुख देने वाली होती है.
जिस स्त्री की हथेलियां चपटी मांसहीन हों और नसें ज्यादा उभरी हुुई हों तो उन्हें अच्छा नहीं माना जाता है. दोनों हथेलियों के आकार में अंतर हो तो ऐसी महिलाएं सुख और धन से हीन होती हैं.

"नेत्रे यस्या: केकरे पिङ्गले वा सा दु:शीला श्यामलेक्षणा च।
कूपौ यस्या गण्डयोश्च स्मितेषु नि:सन्दिग्धं बंधकी तां वदन्ति।।"

जिस महिला की आंखें डरी हुई सी, पीली हों वह बुरे स्वभाव वाली होती है. जबकि चंचल और स्लेटी रंग की आंखों को भी शुभ नहीं माना जाता है. हंसते समय जिस स्त्री के गालों पर गड्ढे पड़ते हों उसका चरित्र बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता है.

"ह्स्वयातिनि:स्वता दीर्घया कुलक्षय:।
ग्रीवया पृथूत्थया योषित: प्रचण्डता।।"

किसी स्त्री की गर्दन छोटी हो तो वह जीवनभर दूसरों पर निर्भर रहती है. वह अपना कोई भी निर्णय स्वयं नहीं ले पाती. वहीं 4 अंगुल से अधिक लंबी गर्दन वाली स्त्री वंश का नाश करने वाली होती है. यदि गर्दन बहुत मोटी हो तो उसे शुभ नही माना जाता है. गर्दन चपटी हो तो ऐसी स्त्री का स्वभाव प्रचण्ड यानी गुस्सैल और जिद्दी होता है.

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