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निर्भया कांड की पूरी कहानी हिंदी में - Nirbhaya case in hindi
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निर्भया कांड की पूरी कहानी - निर्भया केस को 7 साल बीत चुके हैं. पैरामेडिकल की छात्रा निर्भया अपने एक दोस्त के साथ साकेत स्थित सेलेक्ट सिटी मॉल में 'लाइफ ऑफ पाई' मूवी देखने गई थी. जिसके बाद वो घर जाने लगे और बस स्टेण्ड के लिए उन्होंने ऑटो लिया. शायद दोनों को इस बात अंजादा नहीं था कि बुरा लम्हा उनका इंतजार कर रहा है.
16 दिसंबर की उस रात को काफी ठंड थी. जैसे ही निर्भया और उसका दोस्त बस स्टैंड पर पहुंचे तो एक सफेद रंग की बस पहले से वहां खड़ी थी. जिसमें एक लड़का बार-बार कह रहा था चलो कहां जाना है. बस में 6 लोग मौजूद थे और ऐसे दिखावा कर रहे थे जैसे काफी सवारी आने वाली हैं.
एक छोटा लड़का पालम मोड और द्वारका के लिए आवाज लगा रहा था. ऐसे में एक लड़का बार-बार निर्भया को बोल रहा था " दीदी चलो, कहां जाना है, हम छोड़ देंगे". जिसके बाद निर्भया और उसका दोस्त दोनों बस में बैठ गए.
किसी ने नहीं सोचा कि बस की सवारी जानलेवा साबित होगी. जैसे ही बस थोड़ी और आगे चली तो दोषियों ने बस का गेट बंद कर दिया और 3 लोग सीट पर आए और निर्भया के दोस्त के चेहरे पर घूंसा मारा. जिसके बाद निर्भया ने फोन ट्राई किया, लेकिन दोषियों ने फोन छीन लिया.
तीन लोगों ने निर्भया के दोस्त को रॉड से पीटना शुरू कर दिया. कोई सिर पर मार रहा था, कोई पीठ पर तो कोई हाथों पर. पैरों पर भी रॉड से खूब मारा. इसके बाद वो निर्भया को खींच कर पीछे ले गए. जहां उसके साथ रेप किया.
निर्भया के दोस्त ने कांच तोड़ने की बहुत कोशिश की, लेकिन बस का कांच इतना मजबूत था कि हाथ से नहीं टूट पाया. गुनाह को अंजाम देने के बाद दोषियों ने निर्भया के दोस्त और निर्भया को झाड़ में फेंक दिया. जिसके बाद उनपर बस चढ़ाने की कोशिश भी की. जिस जगह पर दोनों को फेंका गया था वह दक्षिण दिल्ली के महिपालपुर के नजदीक वसंत विहार इलाका था.
निर्भया के दोस्त ने वहां से गुजर रही गाड़ियों और ऑटो वालों से हाथ हिलाकर मदद मांगने की कोशिश की, लेकिन वो गाड़ी का शीशा नीचे करके देखते और चले जाते थे. ऐसे में एक बाइक वाले ने देखा और उसने सबसे पहले अपने ऑफिस में कॉल किया. जिसके बाद वहां से गाड़ी आई और पुलिस भी आई. दोनों को हॉस्पिटल ले जाया गया.
आरोपियों को किया गिरफ्तार
18 दिसंबर 2012 को घटना के दो दिन बाद दिल्ली पुलिस ने छह में से चार आरोपियों राम सिंह, मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता को गिरफ्तार किया. वहीं 21 दिसंबर 2012 को दिल्ली पुलिस ने पांचवें आरोपी (जो नाबालिग था) को दिल्ली से और छठे आरोपी अक्षय ठाकुर को बिहार से गिरफ्तार किया.
निर्भया ने सिंगापुर में ली आखिरी सांस
इस घटना के बाद देशभर में आंदोलन की आग फैल गई. पूरा देश बलात्कारियों के लिए मृत्युदंड की मांग करने लगा. संसद में इसे लेकर जमकर हंगामा हुआ. इस बीच पीड़ित लड़की की हालत नाजुक होती जा रही थी. उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था. सड़कों और सोशल मीडिया से उठी आवाज संसद के रास्ते सड़कों पर पहले से कहीं अधिक बुलंद होती नजर आ रही थी. दिल्ली के साथ-साथ देश में जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे थे. निर्भया की हालत संभल नहीं रही थी. लिहाजा उसे सिंगापुर के माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 29 दिसंबर को निर्भया ने रात के करीब सवा दो बजे वहां दम तोड़ दिया था.
एक आरोपी ने तिहाड़ जेल में की आत्महत्या
मामला कोर्ट में चल रहा था. पुलिस ने मामले में 80 लोगों को गवाह बनाया था. सुनवाई हो रही थी. मगर इसी बीच 11 मार्च, 2013 को आरोपी बस चालक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली. हालांकि राम सिंह के परिवार वालों और उसके वकील का मानना है कि जेल में उसकी हत्या की गई थी.
निर्भया कांड की पूरी कहानी - निर्भया केस को 7 साल बीत चुके हैं. पैरामेडिकल की छात्रा निर्भया अपने एक दोस्त के साथ साकेत स्थित सेलेक्ट सिटी मॉल में 'लाइफ ऑफ पाई' मूवी देखने गई थी. जिसके बाद वो घर जाने लगे और बस स्टेण्ड के लिए उन्होंने ऑटो लिया. शायद दोनों को इस बात अंजादा नहीं था कि बुरा लम्हा उनका इंतजार कर रहा है.
16 दिसंबर की उस रात को काफी ठंड थी. जैसे ही निर्भया और उसका दोस्त बस स्टैंड पर पहुंचे तो एक सफेद रंग की बस पहले से वहां खड़ी थी. जिसमें एक लड़का बार-बार कह रहा था चलो कहां जाना है. बस में 6 लोग मौजूद थे और ऐसे दिखावा कर रहे थे जैसे काफी सवारी आने वाली हैं.
एक छोटा लड़का पालम मोड और द्वारका के लिए आवाज लगा रहा था. ऐसे में एक लड़का बार-बार निर्भया को बोल रहा था " दीदी चलो, कहां जाना है, हम छोड़ देंगे". जिसके बाद निर्भया और उसका दोस्त दोनों बस में बैठ गए.
किसी ने नहीं सोचा कि बस की सवारी जानलेवा साबित होगी. जैसे ही बस थोड़ी और आगे चली तो दोषियों ने बस का गेट बंद कर दिया और 3 लोग सीट पर आए और निर्भया के दोस्त के चेहरे पर घूंसा मारा. जिसके बाद निर्भया ने फोन ट्राई किया, लेकिन दोषियों ने फोन छीन लिया.
तीन लोगों ने निर्भया के दोस्त को रॉड से पीटना शुरू कर दिया. कोई सिर पर मार रहा था, कोई पीठ पर तो कोई हाथों पर. पैरों पर भी रॉड से खूब मारा. इसके बाद वो निर्भया को खींच कर पीछे ले गए. जहां उसके साथ रेप किया.
निर्भया के दोस्त ने कांच तोड़ने की बहुत कोशिश की, लेकिन बस का कांच इतना मजबूत था कि हाथ से नहीं टूट पाया. गुनाह को अंजाम देने के बाद दोषियों ने निर्भया के दोस्त और निर्भया को झाड़ में फेंक दिया. जिसके बाद उनपर बस चढ़ाने की कोशिश भी की. जिस जगह पर दोनों को फेंका गया था वह दक्षिण दिल्ली के महिपालपुर के नजदीक वसंत विहार इलाका था.
निर्भया के दोस्त ने वहां से गुजर रही गाड़ियों और ऑटो वालों से हाथ हिलाकर मदद मांगने की कोशिश की, लेकिन वो गाड़ी का शीशा नीचे करके देखते और चले जाते थे. ऐसे में एक बाइक वाले ने देखा और उसने सबसे पहले अपने ऑफिस में कॉल किया. जिसके बाद वहां से गाड़ी आई और पुलिस भी आई. दोनों को हॉस्पिटल ले जाया गया.
आरोपियों को किया गिरफ्तार
18 दिसंबर 2012 को घटना के दो दिन बाद दिल्ली पुलिस ने छह में से चार आरोपियों राम सिंह, मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता को गिरफ्तार किया. वहीं 21 दिसंबर 2012 को दिल्ली पुलिस ने पांचवें आरोपी (जो नाबालिग था) को दिल्ली से और छठे आरोपी अक्षय ठाकुर को बिहार से गिरफ्तार किया.
निर्भया ने सिंगापुर में ली आखिरी सांस
इस घटना के बाद देशभर में आंदोलन की आग फैल गई. पूरा देश बलात्कारियों के लिए मृत्युदंड की मांग करने लगा. संसद में इसे लेकर जमकर हंगामा हुआ. इस बीच पीड़ित लड़की की हालत नाजुक होती जा रही थी. उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था. सड़कों और सोशल मीडिया से उठी आवाज संसद के रास्ते सड़कों पर पहले से कहीं अधिक बुलंद होती नजर आ रही थी. दिल्ली के साथ-साथ देश में जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे थे. निर्भया की हालत संभल नहीं रही थी. लिहाजा उसे सिंगापुर के माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 29 दिसंबर को निर्भया ने रात के करीब सवा दो बजे वहां दम तोड़ दिया था.
एक आरोपी ने तिहाड़ जेल में की आत्महत्या
मामला कोर्ट में चल रहा था. पुलिस ने मामले में 80 लोगों को गवाह बनाया था. सुनवाई हो रही थी. मगर इसी बीच 11 मार्च, 2013 को आरोपी बस चालक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली. हालांकि राम सिंह के परिवार वालों और उसके वकील का मानना है कि जेल में उसकी हत्या की गई थी.
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