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बहादुर बच्चों की कहानियाँ Bahadur bachcho ki kahaniyan
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आज देश उन बहादुर बच्चों को सलाम करता है तथा उनकी बहादुरी की सराहना करता है, जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बगैर सच्ची मानवता का फर्ज निभाया।
इन बच्चों को प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस पर सम्मानित किया जाता है। सन् 1957 से यह पुरस्कार देश के वीर नौनिहालों को प्रदान किए जा रहे हैं। अब तक 756 बच्चों को यह पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है, जिनमें 541 लड़के और 215 लड़कियाँ शामिल है। पढने के लिए विजिट करें - http://hindi.webdunia.com/republic-day-2009/बहादुरी-तुझे-सलाम-109012300086_1.htm
आपने अपने घरों में बच्चों को टीवी पर सुपरहीरोज का एक्शन देखकर खुश होते देखा होगा लेकिन इन बच्चों से कुछ ऐसे कारनामे कर दिखाए हैं कि इन्हें लिटिल सुपरहीरो का तमगा देना गलत नहीं होगा। तो आइए, सुनते हैं रियल वर्ल्ड के इन नन्हें सुपरहीरोज की कहानियां को. पढने के लिए विजिट करें - https://navbharattimes.indiatimes.com/photomazza/national-photogallery/nbt-junior-jabaaz/junior-jabaaz-aashish/photoshow/29341510.cms
आज देश उन बहादुर बच्चों को सलाम करता है तथा उनकी बहादुरी की सराहना करता है, जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बगैर सच्ची मानवता का फर्ज निभाया।
इन बच्चों को प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस पर सम्मानित किया जाता है। सन् 1957 से यह पुरस्कार देश के वीर नौनिहालों को प्रदान किए जा रहे हैं। अब तक 756 बच्चों को यह पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है, जिनमें 541 लड़के और 215 लड़कियाँ शामिल है। पढने के लिए विजिट करें - http://hindi.webdunia.com/republic-day-2009/बहादुरी-तुझे-सलाम-109012300086_1.htm
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कहानी नहीं बल्कि सच्ची घटना है यह रायपुर की , जहाँ बड़े बड़े मारे डर के काँप उठते हैं वहीं एक दस वर्षीय बच्ची शीतल की हिम्मत ने न केवल अपनी माँ को लुटने से बचाया बल्कि लुटेरों को भी पुलिस के हवाले करा दिया। पढ़ने के लिए विजिट करें - http://khabaronkiduniyaraipur.blogspot.in/2010/12/brave-dauther-in-raipur-chhattisagarh.html
छोटे शहरों के बच्चों के बड़े कारनामे - प्रतिभाएं शहरों और पैसों की मुहताज नहीं होतीं. यकीन नहीं आता तो पढि़ए सफलता के नए किस्से लिए इन बच्चों की दास्तां. पढने के लिए विजिट करें - http://www.sarita.in/social/small-city-kids-big-works
इन बच्चों ने कुछ अलग काम किया। बहादुरी का काम किया। ऐसा काम किया जिसे करने में बड़ों को भी पसीना छूट जाता है। ऐसा काम किया जिससे उनकी जान को भी खतरा हो सकता है। इसलिए उनके इस काम का सम्मान किया जाना जरूरी है। भास्कर डॉट कॉम गणतंत्र दिवस के अवसर पर पेश कर रहा है ऐसे ही वीरता पुरस्कार प्राप्त बच्चों की कहानी. पढने के लिए विजिट करें - https://www.bhaskar.com/news/c-16-503242-NOR.html
दिल्ली के वसंत विहार में बिटिया से सामूहिक दुष्कर्म की वारदात के एक साल दो माह बाद जयपुर की एक बहादुर बेटी हैवानियत की शिकार होने से बच गई। इसने साहस का परिचय देते हुए बदमाशों का सामना किया और उनसे अपनी जान बचाई। यह बिटिया है गीता चोपड़ा पुरस्कार से सम्मानित होने वाली जयपुर की मलाइका सिंह टाक। वह अपने साथ हुई उस घटना को सोचकर डरती नहीं, बल्कि उसे हिम्मत से बताती हैं। हालांकि दिल्ली में दुष्कर्म की बढ़ती वारदातों से आहत मलाइका यहां रहने से डरती हैं और मुंबई में रहकर पढ़ना चाहती हैं। पढने के लिए विजिट करें - https://www.amarujala.com/news-archives/india-news-archives/children-bravery-award-2013
बिहार के जहानाबाद में 10 साल के एक बच्चे की बहादुरी का किस्सा आजकल सबकी जुबान पर है. विपिन नाम के इस बच्चे ने अपनी जान की बाजी लगाकर नदी में डूब रही चार लड़कियों को बचा लिया. ये घटना जहानाबाद ज़िले के शकुराबाद थाना क्षेत्र के गोपालपुर गांव की है. गांव के पास की नदी में नहाने गई छह लड़कियां तेज पानी में अचानक डूबने लगीं तो वहीं खड़े इस लड़के ने नदी में छलांग लगा दी और चार लड़कियों को एक-एक कर बचा लिया. पढने के लिए विजिट करें - https://khabar.ndtv.com/news/cities/10-year-old-bihar-boy-saves-four-girls-drowing-in-river-1451415
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इन बच्चों ने कुछ अलग काम किया। बहादुरी का काम किया। ऐसा काम किया जिसे करने में बड़ों को भी पसीना छूट जाता है। ऐसा काम किया जिससे उनकी जान को भी खतरा हो सकता है। इसलिए उनके इस काम का सम्मान किया जाना जरूरी है। भास्कर डॉट कॉम गणतंत्र दिवस के अवसर पर पेश कर रहा है ऐसे ही वीरता पुरस्कार प्राप्त बच्चों की कहानी. पढने के लिए विजिट करें - https://www.bhaskar.com/news/c-16-503242-NOR.html
दिल्ली के वसंत विहार में बिटिया से सामूहिक दुष्कर्म की वारदात के एक साल दो माह बाद जयपुर की एक बहादुर बेटी हैवानियत की शिकार होने से बच गई। इसने साहस का परिचय देते हुए बदमाशों का सामना किया और उनसे अपनी जान बचाई। यह बिटिया है गीता चोपड़ा पुरस्कार से सम्मानित होने वाली जयपुर की मलाइका सिंह टाक। वह अपने साथ हुई उस घटना को सोचकर डरती नहीं, बल्कि उसे हिम्मत से बताती हैं। हालांकि दिल्ली में दुष्कर्म की बढ़ती वारदातों से आहत मलाइका यहां रहने से डरती हैं और मुंबई में रहकर पढ़ना चाहती हैं। पढने के लिए विजिट करें - https://www.amarujala.com/news-archives/india-news-archives/children-bravery-award-2013
बिहार के जहानाबाद में 10 साल के एक बच्चे की बहादुरी का किस्सा आजकल सबकी जुबान पर है. विपिन नाम के इस बच्चे ने अपनी जान की बाजी लगाकर नदी में डूब रही चार लड़कियों को बचा लिया. ये घटना जहानाबाद ज़िले के शकुराबाद थाना क्षेत्र के गोपालपुर गांव की है. गांव के पास की नदी में नहाने गई छह लड़कियां तेज पानी में अचानक डूबने लगीं तो वहीं खड़े इस लड़के ने नदी में छलांग लगा दी और चार लड़कियों को एक-एक कर बचा लिया. पढने के लिए विजिट करें - https://khabar.ndtv.com/news/cities/10-year-old-bihar-boy-saves-four-girls-drowing-in-river-1451415
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