गुरु बिना ज्ञान नहीं मिलता - Guru bina gyan nahi milta.
Not knowledge without the master गुरु बिना ज्ञान नहीं मिलता Guru bina gyan nahi milta गुरु बिना ज्ञान नहीं, गुरु बिना ज्ञान अंधेरा, गुरु बिना ज्ञान मिले कौन है, गुरु बिना ज्ञान ना, गुरु बिना ज्ञान नहीं सॉन्ग, गुरु बिना ज्ञान कहाँ से पाऊं, गुरु बिना ज्ञान मिले कैसे? गुरु बिना ज्ञान नहीं मिले, गुरु बिना ज्ञान नहीं ज्ञान बिना मन तरसे, सत गुरु बिना ज्ञान नहीं, भजन गुरु बिना ज्ञान नहीं रे.
बुद्ध अदभुत गुरु हैं। बुद्ध दोनों बातें कहते हैं। कहते हैः गुरु के संग ज्ञान नहीं होगा। और दीक्षा देते है! और शिष्य बनाते हैं! और कहते हैः किसको शिष्य बनाऊं ? कैसे शिष्य बनाऊं ? मैंने खुद भी बिना शिष्य बने पाया ! तुम भी बिना शिष्य बने पाओगे। फिर भी शिष्य बनातें है
बुद्ध अदभुत गुरु हैं। बुद्ध दोनों बातें कहते हैं। कहते हैः गुरु के संग ज्ञान नहीं होगा। और दीक्षा देते है! और शिष्य बनाते हैं! और कहते हैः किसको शिष्य बनाऊं ? कैसे शिष्य बनाऊं ? मैंने खुद भी बिना शिष्य बने पाया ! तुम भी बिना शिष्य बने पाओगे। फिर भी शिष्य बनातें है
दुनिया में तीन तरह के गुरु संभव हैं। एक तो जो गुरु कहता है: गुरु के बिना नहीं होगा। गुरु बनाना पड़ेगा। गुरु चुनना पड़ेगा। गुरु बिन नाहीं ज्ञान। यह सामान्य गुरु है। इसकी बड़ी भीड़ है। और यह जमता भी है। साधारण बुद्धि के आदमी को यह बात जमती है। क्योंकि बिना सिखाए कैसे सीखेंगे ? भाषा भी सीखते, तो स्कूल जाते। गणित सीखते, तो किसी गुरु के पास सीखते। भूगोल, इतिहास, कुछ भी सीखते हैं, तो किसी से सीखते हैं। तो परमात्मा भी किसी से सीखना होगा। यह बड़ा सामान्य तर्क है-थोथा, ओछा, छिछला-मगर समझ में आता है आम आदमी के कि बिना सीख कैसे सीखोगे। सीखना तो पड़ेगा ही। कोई न कोई सिखाएगा, तभी सीखोगे।

इसलिए निन्यानबे प्रतिशत लोग ऐसे गुरु के पास जाते हैं, जो कहता है, गुरु के बिना नहीं होगा। और स्वभावतः जो कहता है गुरु के बिना नहीं होगा, वह परोक्षरूप से यह कहता हैः मुझे गुरु बनाओ। गुरु के बिना होगा नहीं। और कोई गुरु ठीक है नहीं। तो मैं ही बचा। अब तुम मुझे गुरु बनाओ!
दूसरे तरह का गुरु भी होता है। जैसे कृष्णमूर्ति हैं। वे कहते हैः गुरु हो ही नहीं सकता। गुरु करने में ही भूल है। जैसे एक कहता हैः गुरु बिन नाहीं ज्ञान। वैसे कृष्णमूर्ति कहते हैः गुरु संग नाही ज्ञान! गुरु से बचना। गुरु से बच गए, तो ज्ञान हो जाएगा। गुरु में उलझ गए, तो ज्ञान कभी नहीं होगा।
सौ में बहुमत, निन्यानबे प्रतिशत लोगों को पहली बात जमती है। क्योंकि सीधी-साफ है। थोड़े से अल्पमत को दूसरी बात जमती है। क्योंकि अहंकार के बड़े पक्ष में है।
तो जिनको हम कहते हैं बौद्धिक लोग, इंटेलिजेन्सिया, उनको दूसरी बात जमती है। पहले सीधे-सादे लोग, सामान्यजन, उनको पहली बात जमती है। जो अत्यंत बुद्धिमान हैं, जिन्होंने खूब पढ़ा-लिखा है, सोचा है, चिंतन को निखारा-मांजा है, उन्हे दूसरी बात जमती है। क्योंकि उनको अड़चन होती है किसी को गुरु बनाने में। कोई उनसे ऊपर रहे, यह बात उन्हें कष्ट देती है।
कृष्णमूर्ति जैसे व्यक्ति को सुनकर वे कहते हैः अहा! यही बात सच है। तो किसी को गुरु बनाने की कोई जरूरत नहीं है! किसी के सामने झुकने की कोई जरूरत नहीं है ! उनके अहंकार को इससे पोषण मिलता है।
अब तुम फर्क समझना।
पहला जिस आदमी ने कहा कि गुरु बिन ज्ञान नाहीं; और उसने यह भी समझाया कि और सब गुरु तो मिथ्या; सदगुरु मैं। और इसी तरह, मिथ्यागुरु जिनको वह कह रहा है, वे भी कह रहे हैं कि और सब मिथ्या, ठीक मैं।
तो गुरु के बिना ज्ञान नहीं हो सकता है - इस बात का शोषण गुरुओं ने किया गुलामी पैदा करने के लिए; लोगों को गुलाम बना लेने के लिए। सारी दुनिया इस तरह गुलाम हो गयी। कोई हिंदू है; कोई मुसलमान है; कोई ईसाई है; कोई जैन है।
ये सब गुलामी के नाम हैं। अलग-अलग नाम। अलग-अलग-ढंग! अलग-अलग कारागृह! मगर सब गुलामी के नाम हैं।
तो पहली बात का शोषण गुरुओं ने कर लिया। उसमें भी आधा सच था। और दूसरी बात का शोषण गुरुओं ने कर लिया। उसमें भी आधा सच था। और दूसरी बात का शोषण शिष्य कर रहे हैं, उसमें भी आधा सच है। कृष्णमूर्ति की बात में भी आधा सच है।
पहली बात में आधा सच है कि गुरु बिन नाहीं ज्ञान। क्योंकि गुरु के बिना तुम साहस जुटा न पाओगे। जाना अकेले है। पाना अकेले है। जिसे पाना है, वह मिला ही हुआ है। कोई और उसे देने वाला नहीं है। फिर भी डर बहुत है, भय बहुत है, भय के कारण कदम नहीं बढ़ता अज्ञात में।
पहली बात सच है; - आधी सच है - कि गुरु के साथ सहारा चाहिए। उसका शोषण गुरुओं ने कर लिया। वह गुरुओं के हित में पड़ी बात। दूसरी बात भी आधी सच है - कृष्णमूर्ति की। गुरु बिन नाही ज्ञान की बात ही मत करो, गुरु संग नहीं ज्ञान। क्यों ? क्योंकि सत्य तो मिला ही हुआ है, किसी के देने की जरूरत नहीं है। और जो देने का दावा करे, वह धोखेबाज है। सत्य तुम्हारा है; निज का है; निजात्मा में है; इसलिए उसे बाहर खोजने की बात ही गलत है। किसी के शरण जाने की कोई जरूरत नहीं है। आशरण हो रहो।
बात बिल्कुल सच है; पर आधी। इसका उपयोग अहंकारी लोगों ने कर लिया, अहंकारी शिष्यों ने।
पहले का उपयोग कर लिया अहंकारी गुरुओं ने - कि गुरु के बिना ज्ञान नहीं होगा, इसलिए मुझे गुरु बनाओ। दूसरे का उपयोग कर लिया अहंकारी शिष्यों ने, उन्होंने कहाः किसी को गुरु बनाने की जरूरत नहीं है। हम खुद ही गुरु है। हम स्वयं ही गुरु हैं। कहीं झुकने की कोई जरूरत नहीं है।
बुद्ध अदभुत गुरु हैं। बुद्ध दोनों बातें कहते हैं। कहते हैः गुरु के संग ज्ञान नहीं होगा। और दीक्षा देते है! और शिष्य बनाते हैं! और कहते हैः किसको शिष्य बनाऊं ? कैसे शिष्य बनाऊं ? मैंने खुद भी बिना शिष्य बने पाया! तुम भी बिना शिष्य बने पाओगे। फिर भी शिष्य बनातें है।
बुद्ध बड़े विरोधाभासी हैं। यही उनकी महिमा है। उनके पास पूरा सत्य है। और जब भी पूरा सत्य होगा, तो पैराडाक्सिकल होगा; विरोधाभासी होगा। जब पूरा सत्य होगा, तो संगत नहीं होगा। उसमें असंगति होगी। क्योंकि पूरे सत्य में दोनों बाजुएं एक साथ होंगी।
पूरा आदमी होगा, तो उसका बायां हाथ भी होगा, और दायां हाथ भी होगा। जिसके पास सिर्फ बायां हाथ है, वह पूरा आदमी नहीं है। उसका दायां हाथ नहीं है। हालांकि एक अर्थ में वह संगत मालूम पड़ेगा, उसकी बात में तर्क होगा।
बुद्ध की बात अतर्क्य होगी, तर्कातीत होगी, क्योंकि दो विपरीत छोरों को इकटठा मिला लिया है। बुद्ध ने सत्य को पूरा-पूरा देखा है। तो उनके सत्य में रात भी है, और दिन भी है। और उनके सत्य में स्त्री भी है, और पुरुष भी है, और उनके सत्य में जीवन भी है, और मृत्यु भी है। उन्होंने सत्य को इतनी समग्रता में देखा, उतनी ही समग्रता में कहा भी।
तो वे दोनों बात कहते हैं। वे कहते हैः किसको शिष्य बनाऊं ? और रोज शिष्य बनाते हैं !
Read more on -
Read more on -
http://www.oshoworld.com/onlinemaghindi/july12/htm/Guru_Bin_Gyan_Naahin.asp
Thanks for reading...
Tags: Not knowledge without the master गुरु बिना ज्ञान नहीं मिलता Guru bina gyan nahi milta गुरु बिना ज्ञान नहीं, गुरु बिना ज्ञान अंधेरा, गुरु बिना ज्ञान मिले कौन है, गुरु बिना ज्ञान ना, गुरु बिना ज्ञान नहीं सॉन्ग, गुरु बिना ज्ञान कहाँ से पाऊं, गुरु बिना ज्ञान मिले कैसे? गुरु बिना ज्ञान नहीं मिले, गुरु बिना ज्ञान नहीं ज्ञान बिना मन तरसे, सत गुरु बिना ज्ञान नहीं, भजन गुरु बिना ज्ञान नहीं रे.
Thanks for reading...
Tags: Not knowledge without the master गुरु बिना ज्ञान नहीं मिलता Guru bina gyan nahi milta गुरु बिना ज्ञान नहीं, गुरु बिना ज्ञान अंधेरा, गुरु बिना ज्ञान मिले कौन है, गुरु बिना ज्ञान ना, गुरु बिना ज्ञान नहीं सॉन्ग, गुरु बिना ज्ञान कहाँ से पाऊं, गुरु बिना ज्ञान मिले कैसे? गुरु बिना ज्ञान नहीं मिले, गुरु बिना ज्ञान नहीं ज्ञान बिना मन तरसे, सत गुरु बिना ज्ञान नहीं, भजन गुरु बिना ज्ञान नहीं रे.
आपके लिए कुछ विशेष लेख
- इंडियन गांव लड़कियों के नंबर की लिस्ट - Ganv ki ladkiyon ke whatsapp mobile number
- रण्डी का मोबाइल व्हाट्सअप्प कांटेक्ट नंबर - Randi ka mobile whatsapp number
- धंधे वाली का मोबाइल नंबर चाहिए - Dhandha karne wali ladkiyon ke number chahiye
- सेक्स करने के लिए लड़की चाहिए - Sex karne ke liye sunder ladki chahiye
- सेक्सी वीडियो डाउनलोड कैसे करें - How to download sexy video
- Ghar Jamai rishta contact number - घर जमाई लड़का चाहिए
- किन्नर व्हाट्सप्प मोबाइल नंबर फोन चाहिए - Kinner whatsapp mobile phone number
- अनाथ मुली विवाह संस्था फोन नंबर चाहिए - Anath aashram ka mobile number
- नई रिलीज होने वाली फिल्मों की जानकारी और ट्रेलर, new bollywood movie trailer 2018
- भारतीय हीरोइन के नाम की सूची - List of names of Bollywood actresses
एक टिप्पणी भेजें
प्रिय दोस्त, आपने हमारा पोस्ट पढ़ा इसके लिए हम आपका धन्यवाद करते है. आपको हमारा यह पोस्ट कैसा लगा और आप क्या नया चाहते है इस बारे में कमेंट करके जरुर बताएं. कमेंट बॉक्स में अपने विचार लिखें और Publish बटन को दबाएँ.