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जानिये कैसी होनी चाहिये खाने की दिनचर्या Janiye kaisi honi chahiye Khane ki din charya
खाने की क्या हो दिनचर्या Khane ki kya ho din charya, What eating routine. कैसी होनी चाहिए आपके खाने कि दिनचर्या. खाना खाने का टाइम टेबल आयुर्वेदिक दिनचर्या के नियम. आपकी दिनचर्या कैसी होनी चाहिए. एक बेहतर दिनचर्या कैसी होती है? खाना खाने का सही समय क्या होता है? खाना खाने का ये है बेस्ट टाइम, हमेशा रखें याद. जानिये भोजन करने का सही समय व तरीका. फल खाने का सही समय. फल कब खाना चाहिए. Fal kab khana chahiye in hindi. टाइम से खाओ हेल्थ बनाओ. खाना खाने के लिए चुनें बैस्ट टाइम तभी रहेंगे स्वस्थ. खाना खाने के नियम.
प्रिय दोस्त आज के इस पोस्ट के माध्यम से आप खाने की दिनचर्या की जानकारी ले सकते है. आप इस पोस्ट से मालूम कर सकते हो कि कौनसे समय में क्या और कितना भोजन लेना चाहिए. स्वस्थ शरीर के लिए ये टिप्स जो अपनी दिनचर्या में शामिल करने से निश्चित रूप से लाभ मिलेगा.
प्रिय दोस्त आज के इस पोस्ट के माध्यम से आप खाने की दिनचर्या की जानकारी ले सकते है. आप इस पोस्ट से मालूम कर सकते हो कि कौनसे समय में क्या और कितना भोजन लेना चाहिए. स्वस्थ शरीर के लिए ये टिप्स जो अपनी दिनचर्या में शामिल करने से निश्चित रूप से लाभ मिलेगा.

- सुबह उठते ही खाली पेट क्या लें: रात को 1/2 कटोरी पानी में 1/2 छोटा चम्मच सौंफ पाउडर भिगोकर रखें। सुबह उठने के तुरंत बाद एक गिलास गुनगने पानी में 1/4 छोटा चम्मच नींबू रस डालकर पिएं। फिर यह सौंफ का पानी पी लें। हम रातभर कुछ भी खाते-पीते नहीं है तो इस दौरान पेट में जमा होने वाले सल्फ्यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है। सुबह उठने के साथ ही कुछ खाते-पीते नहीं है तो सल्फ्यूरिक एसिड पेट की आंतरिक दीवार पर जमा प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट से क्रिया कर आंतरिक परत को प्रभावित करने लगता है। नतीजतन, एसिडिटी, कब्ज और गैस शिकायत हो सकती है। सुबह उठते ही गुनगुना पानी पिएंगे, तो यह सल्फ्यूरिक एसिड पानी में घुलकर यूरिन द्वारा आसानी से बाहर निकल जाएगा। इसके अलावा सौंफ का पानी शरीर का ताप नियंत्रित करने में मददगार होगा। इससे पेट के विकार और अन्य सेहत समस्याओं का खतरा टलेगा।
- सप्ताह में एक दिन उपवास: डॉक्टर की सलाह से सप्ताह में एक बार उपवास करें। इस दिन तेल वाले आहार के बजाए फल, दूध, जूस, नारियल पानी जैसी चीजों का सेवन करे। यदि उपवास नहीं करना चाहते, तो आसानी से पचने वाली हल्की चीजें जैसे खिचड़ी और दलिया आदि ले सकते हैं। शरीर के अन्य अंगों की तरह हमारे पेट को भी आराम की दरकार होती है। हफ्ते में एक दिन हल्के और पाचक आहार सेवन करेंगे, तो पाचन तंत्र को कम काम करना पड़ेगा। इससे उसकी क्रियाशीलता बढ़ेगी। इसके अलावा इससे शरीर में जमा विषैले तत्व निकलेंगे और चयापचय दर बढ़ेगी। नतीजतन, वजन नियंत्रित करने में मदद मिलेगी और सेहत बन जाएगी।
- भोजन करने का तरीका: जहां तक संभव हो खाते समय हमेशा सुखासन में बैठे। इसके अलावा चबा-चबाकर इत्मीनान से खाना खाएं और खाने के दौरान पानी पिएं। सुखासन मुद्रा पाचन में मददगार है। खाने को जितना चबाएंगे, उतनी ज्यादा लार बनकर कौर में मिलेगी। इससे भोजन आसानी से पचेगा व पोषक तत्वों का अच्छा अवशोषण होगा। बीच-बीच में पानी पिएंगे, तो यह पाचन में सहायक सल्फ्यूरिक एसिड और भोजन में मिलकर उन्हें अधिक तरल कर देगा। इससे पाचन क्षमता घटेगी।
- दो तीन फल रोज: रोजाना 2-3 मौसमी फल खाने का नियम बनाएं। इसमें गाढ़े रंग के फलों को प्राथमिकता दें। फलों में कई तरह के सूक्ष्म पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं, आमतौर पर जिनकी पूर्ति सामान्य आहार द्वारा संभव नहीं होती। ये विभिन्न पोषक तत्वों के अवशोषण में मददगार भी होते हैं। साथ ही, आंतरिक व शारीरिक क्रियाओं और ऊर्जा के निर्माण मे भी अहम सहायक होते हैं।
- छाछ का सेवन: खाने के साथ छाछ (लस्सी) भी लें। छाछ व दही में लैक्टिक एसिड व बैसिलस बैक्टिरिया होता है, जो पाचन में मददगार है। दही को मथकर छाछ बनती है, जो दही से ज्यादा गुणकारी होती है। इसके सेवन से भरपूर कैल्शियम मिलेगा, जिससे हड्डियां मजबूत बनेंगी और ऑस्टियोपोरोसिस की शिकायत दूर होगी।
- तिरंगी हो थाली: थाली में हरी पत्तेदार सब्जियां, काली या पीली दाल, लाल टमाटर या चटनियां कम से कम ये तीन रंग जरूर शामिल करें। इससे ज्यादा हैं, तो भी अच्छा है। आहार के रंग उनकी पौष्टिकता की वैरायटी भी दर्शाते हैं। इसलिए आपकी थाली में जितने प्राकृतिक रंगों वाली चीजें शामिल होंगी, उतनी ही तरह के पोषक तत्व मिलेंगे। यह संतुलित थाली अनेक शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति करेगी और शरीर को पोषक तत्वें की कमी से बचाने में सहायक होगी।
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