बुरे कर्म का घातक चक्र Bure karam ka ghatak chakra
बुरे कर्म का घातक चक्र Bure karam ka ghatak chakra, Fatal cycle of bad action. बुरे काम का बुरा नतीजा. बुरा काम करने वाला कभी अच्छा नहीं पा सकता है. अपने कर्मों के अनुसार ही इन्सान फल भी पाता है. आपके कर्मों से ही आपका भविष्य बनता है और आपके कर्म ही आपको सफल बनाते है, बुरे काम का बुरा नतीजा बहुत सुन्दर जानकारी.
कर्म कैसा भी है यदि उसकी आदत निर्मित हो गई है तो वह चक्र में शामिल हो जाता है। आदत हमारे मन का हिस्सा जब बन जाती है तो फिर उससे छुटकाना पाना कठिन होता है और यह आदत जब लंबे समय तक जारी रहती है तो यह चित्त में घर कर जाती है। जब चित्त में घर कर जाती है तो यह धारणा बन जाती है। जब धारणा बन जाती है तो उसी से हमारे वर्तमान और भविष्य संचालित होता रहता है। इसलिए कर्म करते वक्त सकर्त रहना जरूरी है।
योग और गीता में कर्म चक्र के परिणाम को विस्तार से बताया गया है। यदि आप धर्म और समाज द्वारा निषिद्ध कर्मों को करते आए हैं तो निश्चित ही उसको करते रहने के अभ्यास से उसकी आदत आपसे छूट पाना मुश्किल होगी। चित्त पर किसी कर्म के चिपक जाने से उसका छूटना मुश्किल होता है। यदि किसी व्यक्ति के साथ बुरे से बुरा ही होता रहता है तो इस चक्र को समझो। निश्चित ही कतार में खड़ी प्रथम साइकल को हम गिरा देते हैं तो इसकी सम्भावना बन जाती है कि आखिरी साइकल भी गिर सकती है।
क्या होता है कर्म से : आसक्तिभाव (लगाव) और अनासक्ति (निर्भाव) भाव से किए कर्म का परिणाम अलग-अलग होता है। कर्म से चित्त पर बंध बनता है- इसे कर्मबंध कहते हैं। यही बंध मृत्यु काल में बीज रूप बनकर अगले जन्म में फिर जड़ें पकड़ लेता है।
हिंदू धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि जीवन एक चक्र है तो इस चक्र को समझना जरूरी है। आपकी सोच और आपके कर्म से निकलता है आपका भविष्य। इस कर्म चक्र को जो समझता है वही 'कर्म में कुशल' होने की भी सोचता है। कर्म में कुशल होने से ही जीवन में सफलता मिलती है।
कैसे बने कर्म में कुशल : कुछ भी प्राप्त करने के लिए कर्म करना ही होगा और कुछ भी प्राप्त करने की इच्छा न रहे इसके लिए भी कर्म करना ही होगा। योग और गीता हमें यथार्थ में जीने का मार्ग दिखाते हैं। ज्यादातर लोग अतीत के पछतावे और भविष्य की कल्पना में जीते हैं।
क्रिया योग करें : योग कहता है कि वर्तमान में जीने से सजगता का जन्म होता है। यह सजगता ही हमारी सोच को सही दिशा प्रदान करती है। इसी से हम सही कर्म के लिए प्रेरित होते हैं। कर्म में कुशल होने के लिए योग के यम के सत्य और नियम के तप और स्वाध्याय का अध्ययन करना चाहिए। इसी क्रिया योग से कर्म का बंधन कटता है।
Thanks for reading...
Tags: बुरे कर्म का घातक चक्र Bure karam ka ghatak chakra, Fatal cycle of bad action. बुरे काम का बुरा नतीजा. बुरा काम करने वाला कभी अच्छा नहीं पा सकता है. अपने कर्मों के अनुसार ही इन्सान फल भी पाता है. आपके कर्मों से ही आपका भविष्य बनता है और आपके कर्म ही आपको सफल बनाते है, बुरे काम का बुरा नतीजा बहुत सुन्दर जानकारी.
यदि आपके साथ बुरा ही बुरा होता जा रहा है तो आपने खुद इसे निर्मित किया है। इसके जिम्मेदार आप खुद हैं क्योंकि आप जहां हर वक्त बुरा होने की आशंका से ग्रस्त रहते हैं वहीं आप अपने बुरे कर्मों को बदलने की भी नहीं सोचते हैं।
कर्म कैसा भी है यदि उसकी आदत निर्मित हो गई है तो वह चक्र में शामिल हो जाता है। आदत हमारे मन का हिस्सा जब बन जाती है तो फिर उससे छुटकाना पाना कठिन होता है और यह आदत जब लंबे समय तक जारी रहती है तो यह चित्त में घर कर जाती है। जब चित्त में घर कर जाती है तो यह धारणा बन जाती है। जब धारणा बन जाती है तो उसी से हमारे वर्तमान और भविष्य संचालित होता रहता है। इसलिए कर्म करते वक्त सकर्त रहना जरूरी है।
योग और गीता में कर्म चक्र के परिणाम को विस्तार से बताया गया है। यदि आप धर्म और समाज द्वारा निषिद्ध कर्मों को करते आए हैं तो निश्चित ही उसको करते रहने के अभ्यास से उसकी आदत आपसे छूट पाना मुश्किल होगी। चित्त पर किसी कर्म के चिपक जाने से उसका छूटना मुश्किल होता है। यदि किसी व्यक्ति के साथ बुरे से बुरा ही होता रहता है तो इस चक्र को समझो। निश्चित ही कतार में खड़ी प्रथम साइकल को हम गिरा देते हैं तो इसकी सम्भावना बन जाती है कि आखिरी साइकल भी गिर सकती है।
क्या होता है कर्म से : आसक्तिभाव (लगाव) और अनासक्ति (निर्भाव) भाव से किए कर्म का परिणाम अलग-अलग होता है। कर्म से चित्त पर बंध बनता है- इसे कर्मबंध कहते हैं। यही बंध मृत्यु काल में बीज रूप बनकर अगले जन्म में फिर जड़ें पकड़ लेता है।
हिंदू धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि जीवन एक चक्र है तो इस चक्र को समझना जरूरी है। आपकी सोच और आपके कर्म से निकलता है आपका भविष्य। इस कर्म चक्र को जो समझता है वही 'कर्म में कुशल' होने की भी सोचता है। कर्म में कुशल होने से ही जीवन में सफलता मिलती है।
कैसे बने कर्म में कुशल : कुछ भी प्राप्त करने के लिए कर्म करना ही होगा और कुछ भी प्राप्त करने की इच्छा न रहे इसके लिए भी कर्म करना ही होगा। योग और गीता हमें यथार्थ में जीने का मार्ग दिखाते हैं। ज्यादातर लोग अतीत के पछतावे और भविष्य की कल्पना में जीते हैं।
क्रिया योग करें : योग कहता है कि वर्तमान में जीने से सजगता का जन्म होता है। यह सजगता ही हमारी सोच को सही दिशा प्रदान करती है। इसी से हम सही कर्म के लिए प्रेरित होते हैं। कर्म में कुशल होने के लिए योग के यम के सत्य और नियम के तप और स्वाध्याय का अध्ययन करना चाहिए। इसी क्रिया योग से कर्म का बंधन कटता है।
Thanks for reading...
Tags: बुरे कर्म का घातक चक्र Bure karam ka ghatak chakra, Fatal cycle of bad action. बुरे काम का बुरा नतीजा. बुरा काम करने वाला कभी अच्छा नहीं पा सकता है. अपने कर्मों के अनुसार ही इन्सान फल भी पाता है. आपके कर्मों से ही आपका भविष्य बनता है और आपके कर्म ही आपको सफल बनाते है, बुरे काम का बुरा नतीजा बहुत सुन्दर जानकारी.
आपके लिए कुछ विशेष लेख
- इंडियन गांव लड़कियों के नंबर की लिस्ट - Ganv ki ladkiyon ke whatsapp mobile number
- किन्नर व्हाट्सप्प मोबाइल नंबर फोन चाहिए - Kinner whatsapp mobile phone number
- अमीर घर की औरतों के मोबाइल नंबर - Rich female contact number free
- सेक्स करने के लिए लड़की चाहिए - Sex karne ke liye sunder ladki chahiye
- Ghar Jamai rishta contact number - घर जमाई लड़का चाहिए
- रण्डी का मोबाइल व्हाट्सअप्प कांटेक्ट नंबर - Randi ka mobile whatsapp number
- धंधे वाली का मोबाइल नंबर चाहिए - Dhandha karne wali ladkiyon ke number chahiye
- सेक्सी वीडियो डाउनलोड कैसे करें - How to download sexy video
- कैसे हुई सृष्टि की उत्पत्ति और कब होगा प्रलय Srishti ki utpatti aur parlya kab aur kaise
- नई रिलीज होने वाली फिल्मों की जानकारी और ट्रेलर, new bollywood movie trailer 2018
एक टिप्पणी भेजें
प्रिय दोस्त, आपने हमारा पोस्ट पढ़ा इसके लिए हम आपका धन्यवाद करते है. आपको हमारा यह पोस्ट कैसा लगा और आप क्या नया चाहते है इस बारे में कमेंट करके जरुर बताएं. कमेंट बॉक्स में अपने विचार लिखें और Publish बटन को दबाएँ.