एक लड़के ने एक ऐसे बल्ब का आविष्कार किया है जो बिना बिजली के प्रकाश कर सकता है यानि यह बल्ब बिना बिजली के ही जलता है। आइये जानते हैं इस बल्ब के बारे में।
देहरादून के 12वीं के छात्र तेजित पबारी ने अपनी सृजनशीलता का लोगों को परिचय इस बल्ब के द्वारा कराया है। इनका शोध पत्र “सिनर्जी-2016” में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रस्तुत किया गया। इस सम्मलेन में दिल्ली विश्वविद्यालय के एम-टेक के छात्र तथा दिल्ली आईआईटी के ही छात्र थे यानि तेजित पबारी एक अकेले स्कूली छात्र थे। अब तेजित गूगल के साइंस फेयर- 2016 के रीजनल फाइनलिस्ट की श्रेणी में पहुंच गए हैं।
आइये अब जानते है इसने इस बल्ब को कैसे बनाया था? इसके लिए एक खाली कांच की बोतल, पानी और ब्लीच पाउडर का प्रयोग किया गया। उसने इन सभी पदार्थों को बोतल में डाला और बोतल में डाले गए ये सभी पदार्थ बोतल के अंदर एक ऐसा मिश्रण बनाने लगे जिससे सूरज की रोशनी रिफ्लेक्ट होने लगी और पुरे कमरे में उजाला हो गया।
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देहरादून के 12वीं के छात्र तेजित पबारी ने अपनी सृजनशीलता का लोगों को परिचय इस बल्ब के द्वारा कराया है। इनका शोध पत्र “सिनर्जी-2016” में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रस्तुत किया गया। इस सम्मलेन में दिल्ली विश्वविद्यालय के एम-टेक के छात्र तथा दिल्ली आईआईटी के ही छात्र थे यानि तेजित पबारी एक अकेले स्कूली छात्र थे। अब तेजित गूगल के साइंस फेयर- 2016 के रीजनल फाइनलिस्ट की श्रेणी में पहुंच गए हैं।
आइये अब जानते है इसने इस बल्ब को कैसे बनाया था? इसके लिए एक खाली कांच की बोतल, पानी और ब्लीच पाउडर का प्रयोग किया गया। उसने इन सभी पदार्थों को बोतल में डाला और बोतल में डाले गए ये सभी पदार्थ बोतल के अंदर एक ऐसा मिश्रण बनाने लगे जिससे सूरज की रोशनी रिफ्लेक्ट होने लगी और पुरे कमरे में उजाला हो गया।