भारत के महाराष्ट्र के दहिसर में भाटला देवी का एक प्रचलित मंदिर है। इस मंदिर में आने वाले लोग मानते है कि जिन की शादी यहाँ होती है उनकी शादीशुदा ज़िन्दगी में कोई दिक्कत नहीं होती और सबसे ख़ास बात ये हैं कि भाटला देवी माता के सामने शादी के बंधन में बंधे लड़का-लड़की सात जन्मों तक साथ रहते हैं। मतलब आने वाले सात जन्मों तक वे पति-पत्नी बन जाते हैं।
इस मंदिर की कहानी बताती है कि जब पुर्तगाल से आए हुए लोग वसई में हिन्दू देवी-देवताओं के मंदिरों को तोड़ रहे थे। तब चिमाजी आपा इस मूर्ति को लेकर दहिसर आ गए थे। उस समय इस इलाके में घने पेड़ से घिरा हुआ जंगल था। यहां एक पीपल के पेड़ के नीचे वो देवी की मूर्ति छिपा दी थी।
सबसे पहले भाटों ने ही इस मूर्ति को देखा था। इसलिए इस मूर्ति को भाटला देवी कहा जाता है। यह मंदिर 40 हजार वर्ग फुट में फैला हुआ है, जिसमें भाटला देवी के अलावा पवनपुत्र, श्री राधाकृष्ण, गणेश जी की मूर्तियां मौजूद हैं। भक्तों का मानना है कि जो भी व्यक्ति यहां सच्चे और साफ मन से पूजा करता है उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। अब यहां शादियां इसलिए की जाती हैं कि कोई भी शादी कभी नहीं टूटे और ना ही उनमें दरार आए।
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इस मंदिर की कहानी बताती है कि जब पुर्तगाल से आए हुए लोग वसई में हिन्दू देवी-देवताओं के मंदिरों को तोड़ रहे थे। तब चिमाजी आपा इस मूर्ति को लेकर दहिसर आ गए थे। उस समय इस इलाके में घने पेड़ से घिरा हुआ जंगल था। यहां एक पीपल के पेड़ के नीचे वो देवी की मूर्ति छिपा दी थी।
सबसे पहले भाटों ने ही इस मूर्ति को देखा था। इसलिए इस मूर्ति को भाटला देवी कहा जाता है। यह मंदिर 40 हजार वर्ग फुट में फैला हुआ है, जिसमें भाटला देवी के अलावा पवनपुत्र, श्री राधाकृष्ण, गणेश जी की मूर्तियां मौजूद हैं। भक्तों का मानना है कि जो भी व्यक्ति यहां सच्चे और साफ मन से पूजा करता है उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। अब यहां शादियां इसलिए की जाती हैं कि कोई भी शादी कभी नहीं टूटे और ना ही उनमें दरार आए।