टूटने के बाद भी शिवलिंग कभी खंडित क्यों नहीं होता है? Shivling tutne par bhi khandit kyo nahi hota hai? शिवलिंग की पूजा क्यों की जाती है? खंडित शिवलिंग भी पूजनीय है, जानिए क्यों in Hindi? क्या टूटे शिवलिंग (खंडित) की भी की जा सकती है पूजा? शिवलिंग को खंडित ना मानने के कारण वजह.
शिव ही एक मात्र ऐसे भगवान हैं जिनका पूजन शिवलिंग रूप में किया जाता है। शिवजी का पूजन लिगं रूप में ही सबसे ज्यादा फलदायक माना गया है।
महादेव का मूर्तिपूजन भी श्रेष्ठ है लेकिन लिंग पूजन सर्वश्रेष्ठ है। सामान्यत: सभी देवी-देवताओं की मूर्तियां कहीं से टूट जाने पर उनकी प्रतिमाओं को खंडित माना जाता है लेकिन शिवलिंग किसी भी परिस्थिति में खंडित नहीं माना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार शिवजी का प्रतीक शिवलिंग कहीं से टूट जाने पर भी खंडित नहीं माना जाता।
जबकि अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा खंडित होने पर उनका पूजन निषेध किया गया है। जबकि शिवलिंग कहीं से टूट जाने पर भी पवित्र और पूजनीय माना गया है।
ऐसा इसलिए है कि भगवान शिव ब्रह्मरूप होने के कारण निष्कल अर्थात निराकार कहे गए हैं। भोलेनाथ का कोई रूप नहीं है उनका कोई आकार नहीं है वे निराकार हैं।
महादेव का ना तो आदि है और ना ही अंत। लिंग को शिवजी का निराकार रूप ही माना जाता है। केवल शिव ही निराकार लिंग के रूप में पूजे जाते है। इस रूप में समस्त ब्रह्मांड का पूजन हो जाता है क्योंकि वे ही समस्त जगत के मूल कारण माने गए हैं।
शिवलिंग बहुत ज्यादा टूट जाने पर भी पूजनीय है। अत: हर परिस्थिति में शिवलिंग का पूजन सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला जाता है। शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग का पूजन किसी भी दिशा से किया जा सकता है लेकिन पूजन करते वक्त भक्त का मुंह उत्तर दिशा की ओर हो तो वह सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
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शिव ही एक मात्र ऐसे भगवान हैं जिनका पूजन शिवलिंग रूप में किया जाता है। शिवजी का पूजन लिगं रूप में ही सबसे ज्यादा फलदायक माना गया है।
महादेव का मूर्तिपूजन भी श्रेष्ठ है लेकिन लिंग पूजन सर्वश्रेष्ठ है। सामान्यत: सभी देवी-देवताओं की मूर्तियां कहीं से टूट जाने पर उनकी प्रतिमाओं को खंडित माना जाता है लेकिन शिवलिंग किसी भी परिस्थिति में खंडित नहीं माना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार शिवजी का प्रतीक शिवलिंग कहीं से टूट जाने पर भी खंडित नहीं माना जाता।
जबकि अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा खंडित होने पर उनका पूजन निषेध किया गया है। जबकि शिवलिंग कहीं से टूट जाने पर भी पवित्र और पूजनीय माना गया है।
ऐसा इसलिए है कि भगवान शिव ब्रह्मरूप होने के कारण निष्कल अर्थात निराकार कहे गए हैं। भोलेनाथ का कोई रूप नहीं है उनका कोई आकार नहीं है वे निराकार हैं।
महादेव का ना तो आदि है और ना ही अंत। लिंग को शिवजी का निराकार रूप ही माना जाता है। केवल शिव ही निराकार लिंग के रूप में पूजे जाते है। इस रूप में समस्त ब्रह्मांड का पूजन हो जाता है क्योंकि वे ही समस्त जगत के मूल कारण माने गए हैं।
शिवलिंग बहुत ज्यादा टूट जाने पर भी पूजनीय है। अत: हर परिस्थिति में शिवलिंग का पूजन सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला जाता है। शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग का पूजन किसी भी दिशा से किया जा सकता है लेकिन पूजन करते वक्त भक्त का मुंह उत्तर दिशा की ओर हो तो वह सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
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