Home
» Learn-More
» शीतला सप्तमी या अष्टमी को ठंडा खाना क्यों खाया जाता हैं? Is din thanda khana kyo khaya jata hai?
शीतला सप्तमी या अष्टमी को ठंडा खाना क्यों खाया जाता हैं? Is din thanda khana kyo khaya jata hai?
शीतला सप्तमी या अष्टमी को ठंडा खाना क्यों खाया जाता हैं? Is din thanda khana kyo khaya jata hai? शीतला सप्तमी या अष्टमी को ठंडा खाना खाने का कारण वजह, जान लीजिये कि शीतला सप्तमी या अष्टमी को ठंडा खाना खाने का क्या उद्देश्य है?
शीतला सप्तमी या अष्टमी को ठंडा खाना खाया जाता हैं, आइये जानते है कि ऐसा क्यों किया जाता है, जानकारी के लिए पोस्ट पूरा पढ़ें...
त्यौहार हमारे जीवन को हर्ष और उल्लास से भर देते हैं। अभी होली की उमंग सबके मन को रंगो से सराबोर किए हुए है कि शील सप्तमी की पूजा का दिन आ गया क्योंकि हमारा देश परंपरओं का देश है।
हमारे देश के हर क्षेत्र की अलग-अलग परंपराएं है उन्हीं में से एक परंपरा है फाल्गुन के महीने में होली के बाद आने वाली सप्तमी को शीतला सप्तमी या शील सप्तमी या अष्टमी के रूप में मनाने की। यह त्यौहार हमारे देश की अधिकांश क्षेत्रों विशेषकर मालवा, निमाड़ व राजस्थान में मनाया जाता है।
शीतला सप्तमी से जुड़े कई लोक गीत है। उसी में से एक है - सीली सीतला ओ माँय, सरवर पूजती घर आय, ठँडा भुजिया चढाय, सरवर पूजती घर आय - इसी प्रकार सभी व्यंजनों के नाम लिए जाते जो माता रानी की भोग के लिए बनाये जाते है।
इस दिन ठंडा भोजन खाए जाने का रिवाज है इसका धार्मिक कारण तो यह है कि शीतला मतलब जिन्हे ठंडा अतिप्रिय है। इसीलिए शीतला देवी को प्रसन्न करने के लिए उन्हें ठंडी चीजों का भोग लगाया जाता है। दरअसल शीतला माता के रूप में पँथवारी माता को पूजा जाता है। पथवारी यानी रास्ते के पत्थर को देवी मानकर उसकी पूजा करना। उनकी पूजा से तात्पर्य यह है - कि रास्ता जिससे हम कही भी जाते हैँ, उसकी देवी ।
वह देवी हमेशा रास्ते में हमें सुरक्षित रखे और हम कभी अपने रास्ते से ना भटके इस भावना से शीतला के रूप में पथवारी का पूजन किया जाता है। अष्टमी के दिन बासी पदार्थ ही देवी को नैवेद्य के रूप में समर्पित किया जाता है, और भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। इस कारण से ही संपूर्ण उत्तर भारत में शीतलाष्टमी त्यौहार, बसौड़ा के नाम से विख्यात है।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन के बाद से बासी खाना खाना बंद कर दिया जाता है।ये ऋतु का अंतिम दिन होता है जब बासी खाना खा सकते हैं। इस व्रत को करनेसे शीतला देवी प्रसन्न होती हैं और व्रती के कुल में दाहज्वर, पीतज्वर, विस्फोटक, दुर्गन्धयुक्त फोडे, नेत्रों के समस्त रोग, शीतला की फुंसियोंके चिन्ह तथा शीतला जनित दोष दूर हो जाते हैं शीतला की उपासना से स्वच्छता और पर्यावरण को सुरक्षित रखने की प्रेरणा मिलती है।
इसीलिए शीतला सप्तमी के दिन ठंडा भोजन माता शीतला को चढ़ाया जाता है और ठंडा ही भोजन ग्रहण किया जाता है।
Thanks for reading...
Tags: शीतला सप्तमी या अष्टमी को ठंडा खाना क्यों खाया जाता हैं? Is din thanda khana kyo khaya jata hai? शीतला सप्तमी या अष्टमी को ठंडा खाना खाने का कारण वजह, जान लीजिये कि शीतला सप्तमी या अष्टमी को ठंडा खाना खाने का क्या उद्देश्य है?
शीतला सप्तमी या अष्टमी को ठंडा खाना खाया जाता हैं, आइये जानते है कि ऐसा क्यों किया जाता है, जानकारी के लिए पोस्ट पूरा पढ़ें...

त्यौहार हमारे जीवन को हर्ष और उल्लास से भर देते हैं। अभी होली की उमंग सबके मन को रंगो से सराबोर किए हुए है कि शील सप्तमी की पूजा का दिन आ गया क्योंकि हमारा देश परंपरओं का देश है।
हमारे देश के हर क्षेत्र की अलग-अलग परंपराएं है उन्हीं में से एक परंपरा है फाल्गुन के महीने में होली के बाद आने वाली सप्तमी को शीतला सप्तमी या शील सप्तमी या अष्टमी के रूप में मनाने की। यह त्यौहार हमारे देश की अधिकांश क्षेत्रों विशेषकर मालवा, निमाड़ व राजस्थान में मनाया जाता है।
शीतला सप्तमी से जुड़े कई लोक गीत है। उसी में से एक है - सीली सीतला ओ माँय, सरवर पूजती घर आय, ठँडा भुजिया चढाय, सरवर पूजती घर आय - इसी प्रकार सभी व्यंजनों के नाम लिए जाते जो माता रानी की भोग के लिए बनाये जाते है।
इस दिन ठंडा भोजन खाए जाने का रिवाज है इसका धार्मिक कारण तो यह है कि शीतला मतलब जिन्हे ठंडा अतिप्रिय है। इसीलिए शीतला देवी को प्रसन्न करने के लिए उन्हें ठंडी चीजों का भोग लगाया जाता है। दरअसल शीतला माता के रूप में पँथवारी माता को पूजा जाता है। पथवारी यानी रास्ते के पत्थर को देवी मानकर उसकी पूजा करना। उनकी पूजा से तात्पर्य यह है - कि रास्ता जिससे हम कही भी जाते हैँ, उसकी देवी ।
वह देवी हमेशा रास्ते में हमें सुरक्षित रखे और हम कभी अपने रास्ते से ना भटके इस भावना से शीतला के रूप में पथवारी का पूजन किया जाता है। अष्टमी के दिन बासी पदार्थ ही देवी को नैवेद्य के रूप में समर्पित किया जाता है, और भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। इस कारण से ही संपूर्ण उत्तर भारत में शीतलाष्टमी त्यौहार, बसौड़ा के नाम से विख्यात है।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन के बाद से बासी खाना खाना बंद कर दिया जाता है।ये ऋतु का अंतिम दिन होता है जब बासी खाना खा सकते हैं। इस व्रत को करनेसे शीतला देवी प्रसन्न होती हैं और व्रती के कुल में दाहज्वर, पीतज्वर, विस्फोटक, दुर्गन्धयुक्त फोडे, नेत्रों के समस्त रोग, शीतला की फुंसियोंके चिन्ह तथा शीतला जनित दोष दूर हो जाते हैं शीतला की उपासना से स्वच्छता और पर्यावरण को सुरक्षित रखने की प्रेरणा मिलती है।
इसीलिए शीतला सप्तमी के दिन ठंडा भोजन माता शीतला को चढ़ाया जाता है और ठंडा ही भोजन ग्रहण किया जाता है।
Thanks for reading...
Tags: शीतला सप्तमी या अष्टमी को ठंडा खाना क्यों खाया जाता हैं? Is din thanda khana kyo khaya jata hai? शीतला सप्तमी या अष्टमी को ठंडा खाना खाने का कारण वजह, जान लीजिये कि शीतला सप्तमी या अष्टमी को ठंडा खाना खाने का क्या उद्देश्य है?
आपके लिए कुछ विशेष लेख
- इंडियन गांव लड़कियों के नंबर की लिस्ट - Ganv ki ladkiyon ke whatsapp mobile number
- सेक्स करने के लिए लड़की चाहिए - Sex karne ke liye sunder ladki chahiye
- रण्डी का मोबाइल व्हाट्सअप्प कांटेक्ट नंबर - Randi ka mobile whatsapp number
- नई रिलीज होने वाली फिल्मों की जानकारी और ट्रेलर, new bollywood movie trailer 2018
- Ghar Jamai rishta contact number - घर जमाई लड़का चाहिए
- सेक्सी वीडियो डाउनलोड कैसे करें - How to download sexy video
- अनाथ मुली विवाह संस्था फोन नंबर चाहिए - Anath aashram ka mobile number
- chusne wali ladkiyon ke number - चूसने वाली लड़कियों के मोबाइल व्हाट्सएप्प नंबर
- UDISE + PLUS CODE, School Directory Management, School Data Capture
- किन्नर व्हाट्सप्प मोबाइल नंबर फोन चाहिए - Kinner whatsapp mobile phone number
एक टिप्पणी भेजें
प्रिय दोस्त, आपने हमारा पोस्ट पढ़ा इसके लिए हम आपका धन्यवाद करते है. आपको हमारा यह पोस्ट कैसा लगा और आप क्या नया चाहते है इस बारे में कमेंट करके जरुर बताएं. कमेंट बॉक्स में अपने विचार लिखें और Publish बटन को दबाएँ.