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जानिए- चप्पल पहनकर मंदिर में क्यों नहीं जाते हैं? Mandir me jute pahankar kyo nahi jana chahiye?
जानिए- चप्पल पहनकर मंदिर में क्यों नहीं जाते हैं? Mandir me jute pahankar kyo nahi jana chahiye? मंदिर में जाने से पहले क्यों उतारने पङते है जूते? श्रद्धालु जूते-चप्पल बाहर उतारकर ही मन्दिर में प्रवेश क्यों करते है? मंदिर या देवस्थान पर चप्पल पहनकर क्यों नहीं जाते?
अब तक आप जब भी मंदिर गए होंगे तो आपने मंदिर से बाहर अपने जुते उतारकर ही मंदिर में प्रवेश किया होगा और आपने देखा होगा कि बाकि सभी लोग भी अपने जूते या चप्पल उतारकर ही मंदिर के अंदर जाते है, आइये आज समझें की ऐसा क्यों किया जाता है?
हमारे यहां हर धर्म के देवस्थलों पर नंगे पांव प्रवेश करने का रिवाज है। चाहे मंदिर हो या मस्जिद गुरुद्वारा हो या जैनालय आदि सभी धर्मों के देवस्थलों के अंदर सभी श्रद्धालु जूते-चप्पल बाहर उतारकर ही प्रवेश करते हैं।
मंदिरों में नंगे पैर प्रवेश करने के पीछे कई कारण हैं। देवस्थानों का निर्माण कुछ इस प्रकार से किया जाता है कि उस स्थान पर काफी सकारात्मक ऊर्जा एकत्रित होती रहती है।
नंगे पैर जाने से वह ऊर्जा पैरों के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश कर जाती है। जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभदायक रहती है। साथ ही नंगे पैर चलना एक्यूप्रेशर थैरेपी ही है और एक्यूप्रेशर के फायदे सभी जानते हैं लेकिन आजकल अधिकांश लोग घर में भी हर समय चप्पल पहनें रहते हैं इसीलिए हम देवस्थानों में जाने से पूर्व कुछ देर ही सही पर जूते-चप्पल रूपी भौतिक सुविधा का त्याग करते हैं।
इस त्याग को तपस्या के रूप में भी देखा जाता है। जूते-चप्पल में लगी गंदगी से मंदिर की पवित्रता भंग ना हो, इस वजह से हम उन्हें बाहर ही उतारकर देवस्थानों में नंगे पैर जाते हैं।
Thanks for reading...
Tags: जानिए- चप्पल पहनकर मंदिर में क्यों नहीं जाते हैं? Mandir me jute pahankar kyo nahi jana chahiye? मंदिर में जाने से पहले क्यों उतारने पङते है जूते? श्रद्धालु जूते-चप्पल बाहर उतारकर ही मन्दिर में प्रवेश क्यों करते है? मंदिर या देवस्थान पर चप्पल पहनकर क्यों नहीं जाते?
अब तक आप जब भी मंदिर गए होंगे तो आपने मंदिर से बाहर अपने जुते उतारकर ही मंदिर में प्रवेश किया होगा और आपने देखा होगा कि बाकि सभी लोग भी अपने जूते या चप्पल उतारकर ही मंदिर के अंदर जाते है, आइये आज समझें की ऐसा क्यों किया जाता है?

हमारे यहां हर धर्म के देवस्थलों पर नंगे पांव प्रवेश करने का रिवाज है। चाहे मंदिर हो या मस्जिद गुरुद्वारा हो या जैनालय आदि सभी धर्मों के देवस्थलों के अंदर सभी श्रद्धालु जूते-चप्पल बाहर उतारकर ही प्रवेश करते हैं।
मंदिरों में नंगे पैर प्रवेश करने के पीछे कई कारण हैं। देवस्थानों का निर्माण कुछ इस प्रकार से किया जाता है कि उस स्थान पर काफी सकारात्मक ऊर्जा एकत्रित होती रहती है।
नंगे पैर जाने से वह ऊर्जा पैरों के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश कर जाती है। जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभदायक रहती है। साथ ही नंगे पैर चलना एक्यूप्रेशर थैरेपी ही है और एक्यूप्रेशर के फायदे सभी जानते हैं लेकिन आजकल अधिकांश लोग घर में भी हर समय चप्पल पहनें रहते हैं इसीलिए हम देवस्थानों में जाने से पूर्व कुछ देर ही सही पर जूते-चप्पल रूपी भौतिक सुविधा का त्याग करते हैं।
इस त्याग को तपस्या के रूप में भी देखा जाता है। जूते-चप्पल में लगी गंदगी से मंदिर की पवित्रता भंग ना हो, इस वजह से हम उन्हें बाहर ही उतारकर देवस्थानों में नंगे पैर जाते हैं।
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