Umar 55 ki dil bachpan ka - Hindi Film , उमर 55 की दिल बचपन का - उमर 55 की दिल बचपन का हिंदी फिल्म देखने के बाद से ही मेरे दिल में ख्याल आने लगा है कि मुझे भी एक ऐसी दोस्त की जरूरत है जो मेरे साथ खेले और मेरा ख्याल रखे क्योंकि मैं भी अब 55 साल का ही हुआ हूँ और मुझे लगता है कि मैं अब तक बुड्ढा नहीं हुआ हूँ.
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उमर 55 की दिल बचपन का - Umar 55 ki dil bachpan ka - क्या आपको भी ऐसा लगता है कि कोई आपका ऐसा दोस्त हो जो उमर 55 की और दिल बचपन का रखता हो. यदि ऐसा है तो इसके लिए मैं सही हूँ क्योंकि मैं 55 साल का होने के बाद भी बचपन जैसा दिल रखता हूँ और मैं आपके साथ हमेशा खेल - खेल में आपको कभी भी किसी गम का अहसास नहीं होने दूंगा.
दोस्ती किसी से भी हो सकती है.फ्रेंडशिप करना कोई गुनाह या बुरा काम नहीं है परन्तु इसके पीछे ईमानदारी होनी जरुरी है. मुझसे दोस्ती करने के लिए अपने मन में पहले ही विचार लेना होगा कि क्या ईमानदार बनना इतना मुश्किल है?
धनीराम अपने बच्चों में संपत्ति का बंटवारा करता है और संपत्ति पाने के बाद सभी अभिमानी हो जाते हैं और उसे छोड़ देते हैं। जब धनीराम असहाय होता है, तब उसका जुड़वाँ भाई, मनीराम एक सरल योजना बनाता है।