तुलसी की खेती करने का वैज्ञानिक तरीका Tulsi ki kheti karne ka vaigyanik tarika
तुलसी की आधुनिक खेती की जानकारी Tulsi ki aadhunik Kheti (Holy Basil) ki Jankari. तुलसी की खेती कैसे करें Tulsi ki kheti kaise karen तुलसी की खेती करने का वैज्ञानिक तरीका Tulsi ki kheti karne ka vaigyanik tarika. खेती मे अधिकतम उत्पादन एवं फसल सुरक्षा. अधिकतम उपज के लिए ध्यान रखने योग्य बातें. बेहतर फसल के लिए टिप्स सुझाव और उपाय. कम खर्च में ज्यादा पैदावार कैसे ले. अच्छी फसल तैयार करने के लिए अपनाए ये तरीके.

तुलसी का पौधा लोग अपने घरों में भी लगा लेते है और कुछ लोग इसकी खेती भी करते है। तुलसी की खेती हर तरह के भूमि पर की जा सकती है। खेती करने से पहले भूमि की अच्छे से जुताई कर के उसमे गोबर के खाद के साथ nitrogen, phosphorus और potash के मात्रा का भी प्रयोग करना चाहिए।

तुलसी का पौधा लोग अपने घरों में भी लगा लेते है और कुछ लोग इसकी खेती भी करते है। तुलसी की खेती हर तरह के भूमि पर की जा सकती है। खेती करने से पहले भूमि की अच्छे से जुताई कर के उसमे गोबर के खाद के साथ nitrogen, phosphorus और potash के मात्रा का भी प्रयोग करना चाहिए।
जलवायु - तुलसी की खेती सभी प्रकार की जलवायु में Suitable है लेकिन गर्मी में इसकी खेती को सर्वोत्तम माना जाता है। सर्दी के दिनों में कुहासे(fog) की वजह से तुलसी के पौधों को नुकसान पहुँचता है जिसकी वजह से उपज में कमी आ जाती है ।
पौधे का रोपन - तुलसी के बीजों बोने से पहले उसे एक controlled temperature में उगाया जाता है। पौधे में जैसे ही 3-4 पत्ते आने लगे उसे जड़ से उखाड़ कर खेत में रोप दिया जाता है। तुलसी के पौधे को रोपने के समय line से line की दूरी 1.5 फिट होनी चाहिए और पौधों से पौधों की दूरी भी 1.5 फिट की होनी चाहिए। पौधे के लगने के बाद time time पर उसकी निराई गुड़ाई भी करते रहना चाहिए तथा उसपर मिट्टी भी चढ़ाते रहना चाहिए ।
खाद प्रबंधन - तुलसी के खेती में खाद के लिए बहुत हीं कम खर्च होता है । इसकी खेती में खाद के रूप में गाय का गोबर तथा तुलसी की कटी पत्तियों का भी use किया जाता है। इसी के वजह से tulsi के खेती में लागत कम लगती है और benefit ज्यादा होता है ।
पौधे की कटाई - लगभग एक महीने में तुलसी का पत्ता काटने योग हो जाता है। तुलसी की कटाई 25 से 26 दिनों के अंतराल पर की जाती है जिसमे 5 से 6 inch पेड़ की कटाई की जाती है।
रोग नियंत्रण - तुलसी में लगने वाले रोगों से नियंत्रण पाने के लिए लगभग 3ml दवा per litre पानी में mix कर 2 से 3 बार पौधों पर छिड़काव करना चाहिए । ठंड के मौसम में कुहासे(Fog) से भी तुलसी के पौधे को काफी हानि पहुंचता है। इसलिए ठंड के मौसम में कुहासे से बचाव के लिए डायथेम एम. 45 का छिड़काव भी खेतो में करना चाहिए जिससे की पौधे रोग मुक्त रहे और तुलसी की उत्पादन प्रभावित ना हो ।
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